यह सवाल आज उन सभी लोगों के जेहन में है, जिन्हे सीबीआई विवाद और उसके बाद इसके निदेशक आलोक वर्मा को बर्खास्त करने सम्बंधित सरकारी फरमान की जानकारी है। वे लोग जिन्हें संस्थाओं की फ़िक्र है, इनकी स्वायत्ता की चिंता है, उन सभी लोगों के मष्तिष्क में यह सवाल अवश्य ही कौंधता होगा। इस सवाल को पुख्ता करने का काम किया सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश ए.के.पटनायक ने।
ए.के.पटनायक के अनुसार सीबीआई निदेशक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही नहीं पाए गए थे:
ए.के.पटनायक हालियां सीबीआई विवाद की जांच-पड़ताल के लिए सर्वोच्च न्यायालय की तरफ़ से नियुक्त किए गए थे। पटनायक के ऊपर ज़िम्मा था मामले की निष्पक्ष एवं सटीक जांच का परीक्षण कर, उसे शीर्ष अदालत तक सौंपने का। इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए गए अपने इंटरव्यू में ए.के.पटनायक ने कहा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए गए थे, वे सही नहीं पाए गए थे।
जस्टिस पटनायक का कहना है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की जांच के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने जो रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी, वह उनकी रिपोर्ट नहीं थी। इसका अर्थ है कि उस रिपोर्ट से जस्टिस पटनायक कहीं सहमत नहीं थे।
आखिर आलोक वर्मा को जल्दबाजी में क्यों हटाया गया:
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में घटित सीबीआई विवाद के बाद सरकार ने तुरत-फुरत में सीबीआई निदेशक आलोक कुमार को असंवैधानिक तरीके से छुट्टी पर भेज दिया था। उस पर आलोक कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर अपना निर्णय सुनाते हुए आलोक कुमार को सीबीआई निदेशक पद पर फिर से बहाल कर दिया था। साथ ही सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक को हटाए जाने के तरीके को गलत बताया था। इसके बाद सरकार ने दो दिन बाद प्रधानमन्त्री, मुख्य न्यायमूर्ति व लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष की सदस्यता वाली हाई पावर कमेटी का गठन कर बहुमत के निर्णय से आलोक कुमार को बर्खास्त कर दिया। इस कमेटी ने सीवीसी की जिस रिपोर्ट के आधार पर निर्णय किया, यहां उस पर दो सवाल मुख्यतः उठ रहे हैं।
पहला यह कि रिपोर्ट में आलोक कुमार पर लगाए गए 10 आरोपों में से 4 को ही सही माना गया था। 6 आरोप सही नहीं होने के बावजूद उन्हें क्यों हटाया गया?
दूसरा सवाल यह कि जांच का सुपरविज़न करने वाले ए.के.पटनायक ने कहा है कि वह रिपोर्ट उन्होंने तैयार नहीं की, साथ ही आलोक वर्मा पर लगाए गए आरोपों को भी गलत बताया। फिर किस आधार पर सीबीआई निदेशक को हटा दिया गया?
यहां आपको बता दें कि अपनी बर्खास्तगी के बाद आलोक कुमार इस्तीफा दे चुके है। कार्मक विभाग को सौंपे अपने इस्तीफे में आलोक कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके ख़िलाफ़ सारे आरोप गलत थे तथा, उन्हें दबाव में हटाया गया है। साथ ही आलोक कुमार ने दावा किया कि सरकार संस्थाओं पर नियंत्रण कड़ा करते हुए, इनकी स्वायत्ता ख़त्म करने जा रही है।
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