रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था, लेकिन वह तो नीरो था, उसे क्या फर्क पड़ता है!

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photo: PTI

ईसा बाद सन्‌ 64 में भव्य रोम नगर जलकर ख़ाक हो गया था। कहा जाता है कि उस समय जब रोम जल रहा था तो नगर का अराजक सम्राट नीरो बांसुरी बजा रहा था, अपने नगर की विनाशलीला देख रहा था। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि रोम साम्राज्य में फैली अव्यवस्था से प्रजा का ध्यान बंटाने के लिए नीरो ने एक रोज एक बड़े समारोह का आयोजन किया। रात का समय था, पर्याप्त रोशनी का प्रबंध नहीं था, तो नीरो ने रोम के बंदियों और गरीब लोगों को इकट्ठा करके उन्हें ज़िंदा जला दिया था। इस किवदंती में यह फर्क नहीं पड़ता कि रोम अनायास ही जला था या जलाया गया था। फिर रोम के जलने पर नीरो का निश्चिंतता से बांसुरी बजाना भी अधिक मायने नहीं रखता। क्योंकि वह तो नीरो था, तानाशाह था, क्रूर था, आततायी था।

पुलवामा हमले के 3 घंटे बाद भी प्रधानमंत्री मोदी का शूटिंग में व्यस्त रहना यकीन मानिए मायने रखता है:

PM Modi enjoying boat riding

रोम के जलने की नीरो को सूचना थी, या नहीं थी, यह भी मायने नहीं रखता। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री का पुलवामा आतंकी हमले के बाद भी 3 घंटे से अधिक समय तक चैन से शूटिंग में व्यस्त रहना यकीन मानिए बहुत हद तक मायने रखता है, क्योंकि हमारा संविधान कहता है कि यह राजतंत्र नहीं, लोकतंत्र है, यहां राजशाही नहीं, चुनी हुई सरकार होती है, आप सनकी तानाशाह नहीं हो सकते, आपको ज़िम्मेदार प्रधान सेवक होना ही पडेगा। बावजूद इसके आश्चर्य है कि 14 फरवरी 2019 को दोपहर बाद सवा तीन बजे तक पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमला हो चुका था, और देश के ज़िम्मेदार प्रधान सेवक शाम 6:30 बजे तक उत्तराखंड के रामनगर, नैनीताल के जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क में एक डिस्कवरी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। बोट राइड का आनंद ले रहे थे, चाय-नाश्ता का लुत्फ़ उठा रहे थे। नहीं प्रधान सेवक जी, राष्ट्र वेदना और व्यथा से गुज़र रहा हो, और आप आरामशाही में सुस्ताने लगे, आपसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती, आप नीरो नहीं हो सकते, आपको फर्क पड़ना चाहिए।

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