जयपुर, टोंक, अजमेर, दौसा आदि ज़िलों की जीवनरेखा माने जाने वाले बीसलपुर बांध का घटता जलस्तर इन क्षेत्रों में कृषि कार्य के लिए चिंता का विषय बन रहा है। बांध में पानी की कमी के चलते स्थानीय गाँवों में अब खेती के लिए बीसलपुर का पानी नहीं पहुँच पा रहा है। गौरतलब है कि बीसलपुर के बांध से प्रत्येक वर्ष टोंक, जयपुर, टोडारायसिंह, देवली व उनियारा तहसीलों के तकरीबन 250 गांवों में गेंहू, चना, सरसों आदि फसलों की खेती की जाती रही है, लेकिन बांध में पानी की कमी के चलते अब सिंचाई का सहारा कुएं व ट्यूबवेल बचे हैं।
सिर्फ आठ महीने पीने लायक ही बचा है भंडारण:
वर्तमान में बीसलपुर बांध का जलस्तर 309.40 आरएल मीटर रह चुका है। यह पानी बांध की कुल क्षमता का केवल 23.50 प्रतिशत ही है। बाँध में पानी की यह कमी इस स्तर पर है कि पीने के लिए भी महज़ आठ माह का पानी ही उपलब्ध है। मतलब साफ़ है कि अगले मानसून तक बांध खाली हो सकता है। यहीं कारण है कि आस-पास के करीब 250 गांवों में खेती के लिए पानी का संकट बन आया है।
जयपुर, टोंक, अजमेर, दौसा के गांव व कस्बों में आता है बीसलपुर का पानी:
बीसलपुर बांध मुख्यतः पेयजल जयपुर, टोंक और उसके आसपास के ज़िलों के लिए बहुत हद तक मायने रखता है। यदि जयपुर शहर की ही बात करे तो यहां हर दिन करीब 4200 लाख लीटर पेयजल की सप्लाई की जाती है। इसमें से बीसलपुर बाँध से 3200 लाख लीटर पानी लिया जाता है तथा ट्यूबवेल द्वारा 1000 लाख लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है।