झालावाड़ में खेल दिलचस्प लेकिन वसुंधरा का पलड़ा भारी

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के दिलचस्प मुक़ाबलों में से एक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अपनी सीट ”झालरापाटन” में देखने को मिल सकता है। इस सीट पर भाजपा से जहां खुद मुख्यमंत्री राजे चुनाव लड़ रही है तो राजे के सामने भाजपा से टूटकर कांग्रेस में जाने वाले मानवेन्द्र सिंह जसोल मैदान में होंगे। मानवेन्द्र सिंह, एक दौर में भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में ऊँचे कद के नेता रहे जसवंत सिंह जसोल के पुत्र है। कांग्रेस की टिकट पर झालरापाटन से चुनाव लड़ रहे मानवेन्द्र राजपूत वोटबैंक पर पकड़ बनाना चाहेंगे लेकिन पिछली तीन बार से क्षेत्र से निर्वाचित होकर विधानसभा में पहुंचने वाली वसुंधरा राजे के सामने उनका शायद ही कोई ख़ास प्रभाव पड़ पाए।

झालरापाटन में मज़बूत खिलाड़ी है वसुंधरा राजे:

पांच बार लोकसभा से निर्वाचित सांसद एवं राजस्थान की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भारतीय राजनीति की परिपक्व नेत्री है। राजे पिछले 15 साल से झालरापाटन से विधायक है। राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह भी झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से सांसद है। ऐसे में स्पष्ट है कि झालावाड़ क्षेत्र में राजे की राजनीति के पैर जमे हुए हैं। क्षेत्र में कार्यकर्ताओं का विशाल जनसमूह और जनता का अति उत्साह भी राजे की आगामी जीत के कयासों में अभिवृद्धि करता है।

स्थानीय स्तर पर गुटबंदी मानवेन्द्र के लिए मुश्किल:

गौरतलब है कि चुनाव से ठीक पहले ही मानवेन्द्र सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। ऐसे में मानवेन्द्र को झालरापाटन से कांग्रेस का दावेदार बनाने से क्षेत्र के अन्य नेताओं में नाराज़गी है। क्षेत्र के कई कांग्रेसी ऐसे थे जो वर्षों से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर, किसी बाहरी को प्रत्याशी बनाने का कांग्रेस पार्टी का निर्णय शायद पार्टी के कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है। यहीं कारण है कि मानवेन्द्र के साथ स्थानीय नेताओं की कमी दिखाई दे रही है।

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