महीने में 15 हज़ार लीटर तक पानी का कोई बिल नहीं आएगा, उपभोग ज़्यादा हुआ, या मीटर खराब हुआ तो लगेगा पूरा शुल्क

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राजस्थान सरकार ने शुक्रवार को फैसला लेते हुए प्रदेशवासियों के लिए पानी निःशुल्क कर दिया है। इसके अंतर्गत अब पानी के एक घरेलू कनेक्शन पर 15 हज़ार लीटर तक हर महीने के उपभोग पर सरकार की तरफ़ से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। हालांकि यदि इससे ज़्यादा पानी उपभोग किया जाता है, तो पूरा शुल्क वसूला जाएगा। इसके तहत 1 अप्रैल से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जल उपभोक्ताओं से लिया जाने वाला वाटर चार्ज समाप्त करने का निर्णय किया गया है। सरकार का दावा है कि सीधे तौर पर प्रदेश के 3.36 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। अब तक सरकार जहां हर माह 161 करोड़ रूपए जल शुल्क के रूप में वसूलती थी, वह अब शर्तों के अनुसार नहीं लिया जाएगा।

सीवरेज, विकास शुल्क/सरचार्ज भी नहीं देने होंगे:

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अब शहरी क्षेत्रों में चालू मीटर वाले कनेक्शन पर 15 हज़ार लीटर मासिक उपभोग तक वाटर चार्ज तथा लिए जा रहे सीवरेज, विकास शुल्क/सरचार्ज अब नहीं लिए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में जहां फ्लैट रेट बिलिंग की व्यवस्था है, वहां भी वाटर चार्ज नहीं लिया जाएगा। इसका फायदा 56 लाख की शहरी आबादी को होगा। इसी के साथ ग्रामीण परियोजना क्षेत्रों एवं अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपभोक्ताओं से 40 एलपीसीडी पानी के उपभोग तक वाटर चार्ज अब नहीं लिया जाएगा। इससे प्रदेश की करीब 2.8 करोड़ ग्रामीण आबादी लाभान्वित होगी।

मीटर काम नहीं करता, तो नहीं मिलेगी राहत:

गौरतलब है कि सरकार ने यहां छूट उन घरेलू जल उपभोक्ताओं को दी है, जिनका मासिक उपभोग 15 हज़ार लीटर तक है। ऐसे में जल उपभोग का सही आंकलन करने के लिए मीटर कनेक्शन का सही तरह से काम करना ज़रूरी होगा। यहां समस्या यह है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में पानी के अधिकतर मीटर कनेक्शन खराब हालत में हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए मीटर सुविधा कम ही घरों में हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने पीएचईडी को दो साल में गैर-कार्यात्मक या खराब पड़े पानी के मीटर को बदलने के लिए एक अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

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