चौकीदार नहीं अपने वादों और घोषणाओं पर बात कीजिए, आप प्रधानमंत्री है साहब स्टंटबाज नहीं

0
1209

2014 का जनादेश प्राप्त कर, सरकार में आने से पहले भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता से कुछ वादें किए थे, अपने घोषणा पत्र में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी। आज पूर्ण बहुमत के भाजपा शासन को 5 साल होने को आए; सियासत का मिज़ाज़ बदल चुका है, लेकिन वो घोषणाएं वो वादें नहीं बदले हैं। कुछेक पूरे हुए तो अनेकों अधूरें हैं। जनमत को मूर्खता मान चैन से बैठी सत्ता के सामने सवालों में तब्दील हो चुके हैं।

  • देश के युवाओं के लिए रोजगार कहां है?
  • स्विस बैंकों का काला धन कहां है?
  • भ्रष्टाचार पर लगाम क्यों नहीं लगी?
  • महिलाएं, बालिकाएं, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक असुरक्षित क्यों हैं?
  • माल्या, मोदी, मेहुल जैसे लोग हमारे बैंकों का एनपीए बढ़ाकर फरार कैसे हो गए? दाऊद पकड़ से बाहर क्यों हैं?
  • किसान आत्महत्या को मज़बूर क्यों है?
  • सरहदें सुलगती क्यों है, रोज-रोज जवानों की जान क्यों जा रही है?
  • स्वास्थ्य और शिक्षा में विकसित क्यों नहीं हो पाए हम?

ऐसे तमाम वाज़िब सवाल, जायज़ जवाबों के इंतज़ार में आज राजशाही के सामने हैं, लेकिन मदमस्त हुक्मरान इन्हें दरकिनार कर रहे हैं। बात राष्ट्रवाद की कर रहे हैं, हिन्दू-मुस्लिम, जिहाद, पाकिस्तान और अब चौकीदार। ये तो कभी मुद्दें नहीं थे! ये वादें आपने कब किए थे साहब? इस तरह भावनात्मक अड़ंगेबाजी के सहारे मतदाता को मोहित करने की चालबाजी आपकी राजनीति भले ही गर्माती होगी, लेकिन ज़मीनी मसलों पर आपकी अनदेखी हर रोज़ आमजन को आंख दिखाती है। प्रधानमंत्री महोदय ने पहले अपने आपको देश का चौकीदार बताया। फिर जब राफेल विमान सौदे के मामले में धांधलेबाजी के आरोप लगे तो विपक्ष ने चौकीदार को चोर कह दिया। वहां बेहतर होता कि आप देश के सामने अपने आप को बेदाग़ साबित करते। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स से सौदेबाजी निरस्त कर निजी हाथों में देने का कारण स्पष्ट करते, लेकिन आपने वह सब नहीं किया। कहीं न कहीं आपकी नीति ठीक नहीं थी, तो नीयत में भी खोट थी साहब! अन्यथा भाजपा के लिए सोशल मीडिया पर चुनावी कैम्पेन का झंडाबरदार बनकर अपने नाम के आगे चौकीदार लिखना प्रधानमंत्री का काम नहीं होता। आपके आह्वान पर आपकी देखा-देखी कर भाजपा के कार्यकर्ताओं, नेताओं सहित देशभर के मंत्री-संतरियों ने अपने नाम के आगे चौकीदार लिख लिया। इस फूहड़ता का वास्तविकता में क्या अर्थ है? यौन शोषण के आरोपी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और भ्रष्टाचार मामलों के आरोपी रहे येदियुरप्पा, मुकुल रॉय जैसे कई भाजपाई सूरमा भी नाम के आगे चौकीदार लिख रहे हैं। यह कोई मज़ाक है! कोई स्टंटबाजी है! आप ट्वीटर, फेसबुक पर ही चुनाव चलाना चाहते हो क्या! आप ट्वीट करते रहते हैं, आपके मंत्रीगण रीट्वीट करते हैं। क्या पांच साल का सत्ताभोग और चुनाव ही सबकुछ बनकर रह गया है? ये डुगडुगी बजाना छोड़िए। अपने वादों, अपनी घोषणाओं पर बात कीजिए साहब, आप प्रधानमंत्री है कोई स्टंटबाज नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here