तो क्या पूर्ण राज्य के नाम पर दिल्लीवासियों को गुमराह नहीं कर रहे केजरीवाल!

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दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल की राजनीतिक शुरुआत भ्रष्टाचार विरोधी और आमजन के हितैषी नेता के रूप में हुई थी। इसके बाद देखा जाए तो देश की राजधानी और अर्ध राज्य दिल्ली का मुखिया बनने के बाद से अरविन्द केजरीवाल हमेशा से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने की मांग करते रहे है। दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अक्सर ही अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल में वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई है। केंद्र शासित दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने की मांग को लेकर हालांकि सभी सक्रिय दलों ने समय-समय पर अपनी भावना दर्शाई है, लेकिन जितनी मुखरता से केजरीवाल ने इस मसले को उठाया है उतना गंभीर कोई नहीं रहा। अब इस बार जब लोकसभा चुनाव करीब है तो केजरीवाल पूरे दमखम से इस मुद्दे को उठा रहे हैं और दिल्लीवासियों को लुभाते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे है।

केजरीवाल का मानना है कि पूर्ण राज्य ही दिल्ली वासियों की प्रमुख मांग है:

कांग्रेस से गठबंधन कर पाने में नाकाम रही आम आदमी पार्टी इस बार दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी का प्रमुख मुद्दा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलवाना ही रखा गया है, पार्टी इसी को दिल्ली वासियों की प्रमुख मांग मान रही है। इसे लेकर आज पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि ”इस बार का लोकसभा चुनाव दिल्ली के लोग अपने हक़ के लिए लड़ेंगे। इस बार लोकसभा चुनाव में दिल्ली पूर्ण राज्य के लिए वोट देगी। 70 साल से दिल्ली के लोगों का शोषण हो रहा है, ये सरासर नाइंसाफी है। पूर्ण राज्य दिल्ली के लोगों का अधिकार हैं, और हम किसी भी हालत में दिल्ली को उसका हक़ दिलाकर रहेंगे। दिल्ली पूर्ण राज्य बनते ही 85% नौकरियां दिल्ली के युवाओं के लिए सुरक्षित की जाएगी और यूनिविर्सिटी में भी 85 % सीट दिल्ली के छात्रों के लिए सुरक्षित की जाएगी। दिल्ली के लोग हर साल 1.5 लाख करोड़ का इनकम टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं लेकिन गोवा जैसे कम आबादी वाले राज्य पर केंद्र सरकार 3200 करोड़ खर्च करती है, और दिल्ली पर सिर्फ 325 करोड़।”

दिल्ली की सीटों से सहारे दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाना असंभव:

दिल्ली भारत की राजधानी है, केंद्र सरकार के सभी प्रमुख कार्यालय, संसद, मंत्रालय, उच्चतम न्यायलय आदि दिल्ली में आते हैं। ऐसे में दिल्ली को केंद्र सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर, पूर्ण राज्य बना देना इतना सहज नहीं है। दिल्ली सहित देश के सात केंद्रशासित प्रदेशों व 29 राज्यों पर संघीय सरकार   का ही नियंत्रण है। किस राज्य को विशेष या किसे पूर्ण राज्य बनाना है, यह पूरी तरह से संघ सरकार की विधायिका पर ही निर्भर है। देश के आधे से अधिक लोकसभा सांसदों के साथ राज्यसभा से भी बहुमत दिल्ली को पूर्ण राहय का दर्ज़ा देने के लिए आवशयक है। ऐसे में यदि दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी जीत भी जाती है, तो क्या गारंटी है कि केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलवा देंगे। मतलब साफ़ है कि दिल्लीवासियों को बहकाकर पूरा वोट तो ले लिया जाएगा, लेकिन पूर्ण राज्य के लिए फिर से केंद्र सरकार पर ही ज़िम्मेवारी ठहराई जाएगी।

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