अयोध्या की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण की मांग अब और ज़ोर पकड़ने लगी है। सर्वोच्च न्यायलय द्वारा इस केस की सुनवाई जनवरी- 2019 तक टालने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विहिप आदि हिन्दू संगठन लगातार मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग उठा रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्र की मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए रविवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा में विहिप, संघ के कार्यकर्ता-सदस्यों सहित अयोध्या व देशभर से साधू-संतों व आमजन ने भागीदारी की। सभा को सम्बोधित करते हुए संघ सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ”हम राम मंदिर निर्माण की भीख नहीं मांग रहे हैं। यह हमारा अधिकार भी है और चाहत भी। सत्ता में बैठे लोगों द्वारा मंदिर निर्माण का वादा किया गया था। आज समय है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर निर्माण का वादा पूरा करे, चाहे इसके लिए संसद में बिल ही क्यों न लाना पड़े।”
संसद सत्र शुरु होने से दो दिन पहले आयोजित की गई धर्मसभा:
गौरतलब है कि राजधानी के रामलीला मैदान में इस धर्मसभा का आयोजन संसद के शीतकालीन सत्र शुरु होने से दो दिन पूर्व किया गया है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि 11 दिसंबर से प्रारम्भ होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस धर्मसभा के माध्यम से सरकार पर जनता की ओर से सामूहिक दबाव बनाने की कोशिश की गई है।
अध्यादेश या क़ानून द्वारा मंदिर निर्माण की उठी मांग:
धर्मसभा के मंच पर विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, साध्वी ऋतम्भरा समेत संघ एवं विहिप के कई दिग्गज नज़र आए। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव ने कहा कि ”राम मंदिर निर्माण कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं है, यह आत्मसम्मान का विषय है। अनंतकाल तक न्यायालय के निर्णय का इंतज़ार नहीं कर सकते। संसद में कानून लाकर मंदिर बनवाना चाहिए।”
वहीं महामंडलेश्वर स्वामी परमानन्द ने कहा कि ”यदि मंदिर नहीं बना तो राम भक्त चुप नहीं बैठेंगे।” जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि ”राम मंदिर निर्माण के लिए क़ानून या अध्यादेश से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है।” अपने सम्बोधन में साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि ”देश का हिन्दू जाग गया है, अब मंदिर बनाना ही चाहिए।”