गहलोत-पायलट में से किसकी अधिक चली? समझिए राजस्थान सरकार के मंत्रिपरिषद से

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tweeted by @ashokgehlot51

नवनिर्वाचित राजस्थान सरकार में मंत्रिपरिषद का गठन हो चुका है। कल रविवार शाम को मंत्री पद के लिए सूची आने के बाद आज सवेरे राज्यपाल की उपस्थिति में मंत्रियों ने शपथ भी ग्रहण कर ली है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की उपस्थिति में दो दिन तक दिल्ली में मंत्रिपरिषद के नामों पर विमर्श हुआ। आखिरकार कुल 23 नामों को मंत्री पद की सूची में सम्मिलित किया गया। इसमें से 13 कैबिनेट मंत्री तथा 10 राज्यमंत्री होंगे। सभी 23 नामों पर गौर किया जाए नज़र आता है कि 18 नाम ऐसे हैं जिन्हें पहली बार मंत्री पद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। युवा चेहरों के साथ ही वरिष्ठ व अनुभवी व्यक्तित्वों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश की गई है।

मंत्री चयन में भी पायलट पर गहलोत रहे हावी:

मंत्रिपरिषद चयन की इस पूरी प्रक्रिया को बारीकी से देखा जाए तो नज़र आता है कि इनमें गहलोत पक्ष के अधिक विधायक मंत्री बनने में कामयाब रहे हैं। भले ही 23 में से 18 नाम पहली बार मंत्री बनने वाले हो, लेकिन उनमें से भी अधिकतर नाम गहलोत समर्थक खेमे के अंदर आते हैं। लालचंद कटारिया, बीड़ी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल मीणा, रमेश मीणा, सालेह मोहम्मद, गोविन्द डोटासरा, ममता भूपेश, भंवर सिंह भाति, सुखराम विश्नोई, राजेंद्र यादव, मास्टर भंवर लाल मेघवाल, अर्जुन बामनिया आदि अशोक गहलोत के प्रभाव से टिकट पाकर पहले विधायक और अब मंत्री बनने में कामयाब रहे।

जोशी, मोरदिया, राजकुमार शर्मा को दरकिनार कर चौंकाया:

कांग्रेस की मंत्रिपरिषद सूची में सीपी जोशी, डॉ.जितेन्द्र सिंह, डॉ.राजकुमार शर्मा, परसराम मोरदिया, विजेंद्र सिंह, बृजेन्द्र सिंह ओला जैसे दिग्गजों का नाम शामिल न होना इस बार बड़े कौतुहल का विषय रहा। कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 के चुनाव बाद प्रदर्शन के आधार पर मंत्रिपरिषद में फेरबदल की जा सकती है। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष, सचेतक, उप सचेतक, एवं संसदीय सचिव जैसे पद पर भी इन जानी-पहचानी हस्तियों का चयन किया जा सकता है।

2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर तय किए गए नाम:

यह पहली बार है जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार की मंत्री सूची शीर्ष नेतृत्व द्वारा तैयार की गई है। इससे पहले मंत्रिपरिषद के लिए हमेशा प्रदेश स्तर पर नाम निर्धारित करके भेज दिए जाते थे, तथा केंद्रीय नेतृत्व सिर्फ अंतिम मुहर लगाने का काम करता था। बड़ी ही सावधानी व गंभीरता से इस बार कांग्रेस पार्टी द्वारा अपनी चुनावी रणनीति तैयार की गई। कांग्रेस आलाकमान ने टिकट वितरण से लेकर मंत्री चयन तक, हर कदम पर सक्रिय भूमिका अदा की है। माना जा रहा है कि मंत्री पद के लिए ये नाम 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव के हिसाब से जातिगत व सामजिक लामबंदी तथा वोटबैंक को ध्यान में रखकर निर्धारित किए गए हैं।

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