लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सक्रिय हुई राजस्थान कांग्रेस, पहले से मज़बूत स्थिति में देगी भाजपा को चुनौती

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tweeted by @ashokgehlot51

राजस्थान में सरकार बनाने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी उत्साह से लबरेज़ है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पण्डे समेत कांग्रेस के अन्य नेतागण आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सक्रिय हो चुके हैं। पिछले दो दिनों में ही कांग्रेस का प्रदेश आलाकमान जालोर-सिरोही, भीलवाड़ा, अजमेर, बाड़मेर-जैसलमेर, जोधपुर और पाली लोकसभा क्षेत्र की फीडबैक बैठक ले चुका है। इसमें क्षेत्र में जाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संपर्क एवं विमर्श के साथ ही राजधानी जयपुर के मुख्यमंत्री निवास पर भी 2019 की रणनीति पर चर्चा की गई है।

गहलोत ने कहा, संगठित भावना से चुनाव लड़ेंगे:

राजस्थान कांग्रेस के शीर्षस्थ व प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने ट्वीटर के माध्यम से बताया कि-

”हम विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं को बुला रहे हैं, उनके साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं। उनकी भावना को समझ रहे हैं। इन सबके बाद मिलकर के लोकसभा के सदस्यों के कैंडिडेट्स के रूप में चयन होगा, हाईकमान करेंगे। हम सब मिलकर के मैदान में उतर रहे हैं, हमारी तैयारियां शुरू हो चुकी है।”

”हम प्रयास करेंगे कि प्रदेश की जो समस्याएं हैं, पिछली सरकार की जो कमियां हैं उन्हें कैसे दूर करें। गुड गवर्नेंस देने के लिए जरूरी है कि पुरानी सरकारों की कमियों के अनुभवों को हम लोग ध्यान में रखकर के आगे बढ़ें जिससे हमसे वो गलती नहीं हो। इसी सोच के साथ हम पॉज़िटिव होकर काम करेंगे।”

सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ने के आसार:

वर्षों से राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस व भाजपा के रूप में दो दलीय व्यवस्था ही मुख्यतः प्रधान रही है। तीसरे मोर्चे का प्रयास यहां कोई ख़ास असर नहीं छोड़ पाया है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां लोकसभा की 25 सीटों पर गठबंधन न करते हुए अपने-अपने उम्मीदवारों को ही तरजीह देती रही हैं। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में देखा जाए तो कांग्रेस ने 200 में से 5 सीटों पर गठबंधन के घटक दलों को भागीदार बनाया था। इसी के साथ प्रदेश में अलग से चुनाव लड़ने वाली बसपा भी 6 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज़ करने में कामयाब रही है। लेकिन चूँकि बसपा ने उत्तर प्रदेश में सपा के साथ सीटें बांट कर कांग्रेस को वहां अनुपयोगी साबित कर दिया है, तो ऐसे में कांग्रेस, राजस्थान में बसपा के साथ साझेदारी कर चुनाव लड़ेगी, इसकी संभावना नहीं है।

पिछली बार से मज़बूत स्थिति में इस दफ़ा:

2014 के आम चुनाव की तुलना 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव से करें तो स्पष्ट नज़र आता है कि इस दफ़ा प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ज़्यादा उत्साहित है। पिछले चुनाव में राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों पर भाजपा को विजय हासिल हुई थी, तथा कांग्रेस शून्य के अंधियारे में खो गई थी। उस हार के पीछे यूपीए के 10 वर्षीय शासन के प्रति आमजन के मन में एंटी इंकम्बेंसी, प्रदेश के 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का करारी शिकस्त झेलना आदि बड़े कारण रहे। इस बार देखा जाए तो हालियां विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को देश के 3 बड़े राज्यों में सत्ता वापसी का आत्मविश्वास भी है, जो उसे पहले से मज़बूत स्थिति में ला खड़ा करता है।

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