पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा पीओके में की गई एयर स्ट्राइक इन दिनों बड़े ही असहज रूप से राजनीतिक विमर्श का विषय बनकर रह गई है। इस जवाबी कार्यवाही में कितने आतंकी मारे गए, अभी तक भारतीय सेना या आधिकारिक सूत्रों ने इस पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी। खुद वायुसेना चीफ ने कहा कि ”हमने बालाकोट में अपने टारगेट को हिट किया था, मृतकों के आंकड़े के बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।” बावजूद इसके एयर स्ट्राइक वाले दिन से ही हमारे न्यूज़ चैनल्स 300 – 350 आतंकियों के खात्मे का दावा कर रहे हैं। बिना विचारे, बिना रिपोर्टिंग के टीवी और अखबार में आतंकियों की मौत की जो संख्या बताई जा रही है, वह पूर्णतया काल्पनिक है। बावजूद, यहां कमाल यह कि सत्ताधारी दल को इस काल्पनिक संख्या से कोई परहेज नहीं। जनता इसे वास्तविक समझकर मोदी सरकार का लोहा मान बैठी है, यह भ्रम राजशाही को सुकून पहुंचाता है। इसलिए व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, टीवी में वीडियो गेम चलाकर देशवासियों को स्ट्राइक की जानकारी दी जा रही है। किसी और हमले के विदेशी वीडियो और तस्वीरें जारी कर, आतंकियों की लाशें गिनाई जा रही हैं। अति आत्मविश्वास के साथ जनसामान्य के बीच गलत जानकारी परोसी जा रही है और आमजन इसे शेयर पर शेयर किया जा रहा है।
इसी बीच विपक्ष के कुछ नेता और स्वतंत्र पत्रकार व बुद्धिजीवी वर्ग यह जानने के लिए बेकरार है कि वायुसेना के जिस ऑपरेशन का श्रेय लेने के लिए सरकार इतनी आपाधापी में लगी है, उसकी वास्तविक सफलता कितनी है? उसमे कितने आतंकी मारे गए? ये सवाल पूंछना कहां गलत है, जब टीवी रिपोर्टर्स गला फाड़कर 300 – 400 आतंकी मार चुके है, तो सरकार भी एक बार इसे स्पष्ट कर दे तो क्या गलत है! इसमें कैसी गोपनीयता का डर! इससे सुरक्षा को खतरा तो नहीं!
बावजूद इन सबके, सोशल मीडिया पर इन सवालों को गलत रूप में पेश किया जा रहा है, देशद्रोह बताया जा रहा है। एलओसी पार जाकर आतंकियों की लाश गिनने का दावा करने वाले टीवी चैनल्स देशभक्ति के गुबार को दर्शकों के सामने रखकर इन सवालों को राजनीतिक ज़बान बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये वायुसेना के पराक्रम पर सवाल है। एक बार गंभीरता से अब हमें समझना होगा कि यहां सवाल और संदेह दोनों ही टीआरपी की भूख में सुबह-शाम एक्सक्लूसिव होने का ढोंग रचते मीडिया चैनल्स पर है, वायुसेना और हमारे सैन्य बलों पर कतई नहीं। उनका काम, उनका ऑपरेशन पूरा करना था, पीओके में घुसकर स्ट्राइक करनी थी, जिसे बखूबी अंजाम दिया गया। सेना को सलाम है। ये सवाल हुक्मरानों और 24*7 उनके गाल बजाते मीडिया से हैं। लोकतंत्र का यह चौथा खम्बा आज जर्जर है, यकीन मानिए कभी भी ढह सकता है। किसी पर भी, आप पर भी।
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