महात्मा गांधी को प्रधानमन्त्री मोदी भी अपना चुके है, फिर भक्त क्यों नहीं! गांधी विरोधी ज़रूर पढ़े

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PM Narendra modi tributes to Mahatma gandhi

भारतीय इतिहास की सर्वप्रमुख शख़्सियत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्हे ब्रिटिश औपनिवशिक शासन से भारत को मुक्त करवाने वाला सबसे बड़ा किरदार माना जाता है। सत्य, अहिंसा, मानवता, भाईचारा, सौहार्द, दयाभाव, पंथनिरपेक्षता आदि अनेकों मानवीय मूल्यों को गांधी समेटे हुए है। बावजूद इसके आज गांधी निशाने पर है। महात्मा गांधी के बलिदान दिवस पर युगपुरुष को आत्मीय श्रद्धांजलि देते हुए बात करते हैं उस विमर्श पर जिसकी बिसात नहीं थी, गांधी के रहते हुए कभी इतना मुखर हो पाने की, लेकिन आज वह चर्चा में है।

वर्तमान सरकार और प्रधानमन्त्री अपना चुके हैं गांधी को:

महात्मा गांधी की छवि धूमिल करने का आरोप अक्सर हिन्दू दक्षिणपंथी संगठनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा पर लगता रहा है। कारण यह कि गांधी की ह्त्या करने वाला नाथूराम गोडसे बहुत हद तक इसी विचारधारा और संगठन से प्रेरित था।

लेकिन समझने वाली बात है कि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भी इसी विचारधारा से सम्बद्ध होने के बावजूद गांधी को आदर देते है, सम्मान प्रकट करते है। वर्तमान सरकार का हर मंत्री, सांसद या कोई भी बड़ा नेता महात्मा गांधी पर अवांछित टिप्पणी नहीं करता। गांधी के जयंती दिवस और पुण्यतिथि पर लगभग सभी उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। गांधी के 150वें जन्मदिवस को धूम-धाम से मनाने की बात सरकार करती है। स्वच्छता के उनके सन्देश को देशभर में प्रसारित किया जाता है। इस तरह प्रतीत होता है कि सरकार पूर्णतया गांधी को अपना चुकी है।

Mahatma gandhi

गांधी विरोधियों के तर्क और खासियतें:

सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, दांडी मार्च, भारत छोड़ो जैसे अनेकों जनविद्रोह के बूते भारत के जनसमूह में ब्रिटिश सत्ता से टकराने वाली हिम्मत भरने वाले गांधी भले ही अंग्रेज़ हुकूमत के धुर विरोधी हो, बावजूद इसके गांधी के तौर-तरीकों, इंसानियत और सद्गुणों के वे कायल थे।

इस तरह गांधी की इतनी ख़िलाफ़त तो कभी उनके दुश्मन रहे अंग्रेज सत्ताधारियों ने भी नहीं की होगी, जितनी आज उस विचारधारा के कुछ लोग करते हैं, जिससे गोडसे भी सम्बद्ध है तो प्रधानमंत्री मोदी भी। प्रधानमंत्री मोदी की वैचारिक अच्छाइयों से सीख न लेते हुए, गोडसेवादी सोंच के साथ अक्सर गांधी-नेहरू को कोसने वाले और अंधेपन से वर्तमान सरकार के हर काम पर विश्वसनीयता की मुहर लगाने वाले लोगों को आज के समय में भक्त कहा जाता है। इनकी खासियत यह है कि, अधिकतर किसी भी बात पर जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, मरने या मारने की बात करते हैं, ये धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, क्षेत्र के आधार पर इंसान में भेद करते हैं। आज़ादी के आंदोलन से लेकर अब तक राष्ट्रहित में इन लोगों और इनकी पुश्तों का शायद ही कोई सकारात्मक योगदान हो, लेकिन गांधी को गलत बताने वाले ये सरकार भक्त नुमाइंदे अपने आप को बड़ा राष्ट्रवादी समझते हैं। गांधी को बदनाम करने के लिए ये लोग आज अक्सर कहते हैं, कि चरखा चलाने से आज़ादी नहीं मिली थी, ये कहते हैं कि गांधी ने देश तोड़ दिया, ये गांधी को ढोंगी बताते है, पाखंडी कहते हैं, उनकी फोटोशॉप्ड तस्वीरें वायरल करते हैं। ये लोग भारत की विविधता और लोकतंत्र के मायने महज़ एक राजनीतिक दल के आस-पास ही समझते हैं। इनमें से अधिकांश ने या तो इतिहास पढ़ा नहीं होता, या इन्हें जबरन पढ़ाया गया होता है। ये प्रमाणिकता पर विश्वास नहीं करते, व्हाट्सएप्प पर लिखे क़िस्से ही इनके लिए शास्वत सत्य होते हैं। इन अधपढों से जब पूंछा जाए कि ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी को आदर देते है, आप क्यों नहीं?” तो कहते हैं कि ”वो तो प्रधानमन्त्री है।” मतलब इनकी नज़र में प्रधानमन्त्री विरला होता है। ये लोग या तो प्रधानमन्त्री को नालायक समझते है, या अपने आप को। आज गांधी होते तो यकीनन बगैर द्वेष के कहते कि ”गलती इनकी नहीं है, इनका उपयोग किया जा रहा है।”

गांधी की प्रासंगिकता मिटने वाली नहीं है:

महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ तरह-तरह के अनर्गल प्रचार आज स्वघोषित समझदार लोगों द्वारा किया जाता है। मनगढंत आरोप गांधी पर मढ़े जाते हैं। बावजूद इन सबके गांधी अटल है, अड़िग है। ऐसे में आप गांधी से असहमत है, तो याद रखिए कि सहजता से असहमति प्रकट करने की हिम्मत भी गांधी से ही मिलती है। चंद लोगों द्वारा गोडसे की पूजा से गांधी को खतरा नहीं हो सकता। प्यार कभी नफ़रत से नहीं हारता, गांधी सत्यता और सादगी सिखाते है, मन, विचार और कर्म में। गांधी आपको इंसान बने रहने की सीख देते है, प्राणिमात्र के प्रति प्यार की सीख देते है।

अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि-आने वाली दुनिया शायद ही यकीन करें, कि हाड-मांस से बना कोई ऐसा भी व्यक्ति इस दुनिया में रहा होगा।

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