सिविल लाइन्स में फिर लौट आए प्रताप सिंह खाचरियावास

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Pratap singh khachariyawas
Pratap singh khachariyawas

राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजधानी जयपुर की वीआईपी सीट सिविल लाइन्स ने पिछले चुनाव में जिसे हराया था, इस बार उसी कांग्रेस और प्रताप सिंह खाचरियावास को चुन लिया। वहीं खेल, वहीं किरदार, लेकिन परिणाम बिलकुल अलग। जहां पिछली बार भाजपा के अरुण चतुर्वेदी ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास को पटखनी दी थी, वहीं इस दफ़ा खाचरियावास ने चतुर्वेदी को करारी शिकस्त दी है।

दिग्गज छात्रनेता रहे हैं प्रताप सिंह:

वर्ष 1992, राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रनेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल कर छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। बस यहीं से शुरू हुई कभी न थमने वाले राजनैतिक जीवन की शुरुआत। 2004 में कांग्रेस की टिकट पर जयपुर शहर से लोकसभा सांसद का चुनाव लड़ा। दिग्गज राजनीतिज्ञ गिरधारी लाल भार्गव के सामने अपरिपक़्व नौजवान टिक नहीं पाया। फिर 2008 में शहर की सिविल लाइन्स से जीतकर विधानसभा में पहुंचे। पांच साल विधायक रहने के बाद अगले चुनाव में जनादेश की अस्वीकार्यता स्वीकारनी पड़ी।

गौरतलब है कि 2013 की पराजय के बाद प्रताप सिंह खाचरियावास फिर से अपने क्षेत्र में जुटकर अगले चुनाव के लिए मेहनत करने लगे थे।  ऐसे में उनकी मेहनत को देखते हुए पार्टी आलाकमान की तरफ़ से उन्हें जयपुर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद जनसक्रियता और जनसम्पर्क में प्रताप सिंह ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। लगातार प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरते रहे। इस अथक मेहनत का परिणाम आज सामने है।

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