काम करने से अधिक दिखावा करना अक्सर महंगा ही साबित होता है। शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ द्वारा दी गई एक जानकारी से कुछ यहीं प्रतीत होता है।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने वर्तमान एनडीए सरकार द्वारा अपने अब तक के साढ़े चार साल के कार्यकाल में सरकारी योजनाओं के प्रसार-प्रसार के लिए खर्च की गई रकम की जानकारी मांगी थी। इस सम्बन्ध में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री राठौड़ ने बताया कि साल 2014 से लेकर 7 दिसंबर 2018 तक केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए कुल 5246 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इनमें 2313 करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा ऑडियो-वीडियो विज्ञापन पर खर्च किया गया। प्रिंट मीडिया के माध्यम से विज्ञापन व प्रचार के लिए 2282 करोड़ रुपए का खर्च किया गया। इसी के साथ 651 करोड़ रूपए सरकार ने आउटडोर प्रचार में खर्च कर दिए। सरकार द्वारा विज्ञापनों पर किए गए इस खर्चे की रिपोर्ट वार्षिक तौर पर भी पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए साल 2014-15 में 980 करोड़, 2015-16 में 1160 करोड़, 2016-17 में 1264 करोड़, 2017-18 में 1313 करोड़ व 2018-19 में अब तक 528 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
10 साल में यूपीए ने किए थे 5040 करोड़ रुपए खर्च:
गौरतलब है कि यदि 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार के 10 वर्षों में सरकारी योजनाओं के प्रचार पर हुए खर्चे का हिसाब देखें तो सामने आता है कि उस दौरान 5040 करोड़ रुपए सरकार द्वारा योजनाओं के प्रचार हेतु खर्च किए गए थे। यूपीए के 10 वर्ष के 5040 करोड़ रुपए के मुक़ाबले वर्तमान सरकार द्वारा 5 साल में खर्चे गए 5246 करोड़ रूपए दोगुने से भी ज़्यादा है।
इसी तरह फैक्टली वेबसाइट की रिपोर्ट देखें तो एनडीए-I ने सालाना 47 करोड़, यूपीए-I ने 312 करोड़, यूपीए-II ने 696 करोड़ व एनडीए-II ने 1202 करोड़ रुपए हर साल योजनाओं के विज्ञापन व प्रचार पर खर्च किए हैं।
विज्ञापनों का क्या असर हुआ, सरकार को यह भी नहीं पता:
केंद्रीय मंत्री से जब यह पूंछा गया कि क्या सरकार द्वारा किए गए इस प्रचार के बाद आमजन में सरकारी योजनाओं के प्रति आई जागरूकता के लिए कोई सर्वे किया गया है? तो जवाब मिला कि सरकार के कहने पर बीओसी विज्ञापन के प्रभाव का सर्वे करता है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक बीओसी को ऐसा निर्देश नहीं दिया गया।
यहां आपको बता दें कि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों का विज्ञापन करने का जिम्मा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था लोक संपर्क और संचार ब्यूरो (बीओसी) पर होता है। यह संस्था ही बाद में यह पता लगाती है कि विज्ञापनों द्वारा जनता कितनी जागरूक हुई अथवा इन विज्ञापनों का क्या असर हुआ।
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