10 दिन, 10 ज़िलें और 10 सभाएं, क्या मोदी बदल देंगे राजस्थान की सियासी गणित?

0
657

राजस्थान के सियासी रण में कुछ ही दिन बाकी है। सर्वें, अनुमान और कयासों की बात करें तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। भारतीय राजनीति की सामान्य धारणा है कि राजनीति में सब कुछ अनिश्चित होता है। यदि इस पर गौर किया जाए तो अभी कुछ भी कहना गलत हो सकता है। राजनीति में क्षणिक परिवर्तन की संभावना हमेशा बनी रहती है और आज नरेंद्र मोदी वह राजनेता है जो  इस संभावना को सच करने का माद्दा रखते हैं। इसी को ध्यान में रखकर राजस्थान में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को स्टार प्रचारक बनाया है। मोदी 25 नवम्बर से 4 दिसंबर के बीच 10 दिनों के अंदर प्रदेश के 10 ज़िलों में 10 सभाएं करके भाजपा की वैतरणी को पार लगाने की कोशिश करते नज़र आएंगे। जनता की नाराज़गी और कांग्रेस का आक्रामक रवैया उनकी इस कोशिश को फीका कर सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोदी राजस्थान विधानसभा में भाजपा की कठिन डगर को आसान रास्तें में तब्दील कर पाएंगे या नहीं!!

इन ज़िलों में करेंगे सभा-संपर्क:

25 नवम्बर को सिंहद्वार से शुरू करते हुए अलवर, भीलवाड़ा, बेणेश्वर धाम, कोटा, नागौर, भरतपुर, जोधपुर, हनुमानगढ़, सीकर और जयपुर में 4 दिसंबर तक प्रधानमन्त्री मोदी भाजपा के लिए चुनावी प्रचार का जिम्मा संभालेंगे।

हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रहा है चलन:

राजस्थान देश का ऐसा राज्य है जहां पिछले कई वर्षों से कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता के एकान्तरण का चलन रहा है। यहां हर पांच साल बाद विधानसभा में पक्ष और विपक्ष बदलते रहे हैं। जनता एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को मौक़ा देती है। अब देखना यह होगा कि क्या मोदी मैजिक इस अनचाहे ट्रेंड के साथ ही कांग्रेस की मैदान में लामबंदी को मात देकर भाजपा की सत्ता में वापसी करा पाने में सफल होता है या नहीं!

सत्ता विरोधी माहौल से पार पाना बड़ी चुनौती:

राजस्थान में इस समय जो सत्ता विरोधी माहौल बना हुआ है उससे पार पाकर आमजन के मन में भाजपा के प्रति विश्वास को प्रबल करना, अपनी सभाओं में मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगा। कुछ सर्वें बताते हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे वसुंधरा राजे को लेकर पार्टी के नेताओं और जनता में भी अस्वीकार्यता की स्थिति है। प्रदेश सरकार के काम और उपलब्धियों को जनता के सामने गिना पाने और उस आधार पर वोट मांगने की ज़िम्मेवारी भी बहुत हद तक मोदी पर टिकी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here