कांग्रेस पर भी मुखर हुई मायावती, न्यूनतम आमदनी गारंटी पर राहुल गांधी का दावा झूठा बताया

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छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी द्वारा की गई न्यूनतम आमदनी गारंटी घोषणा को झूठा और फ़र्ज़ी करार देते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ”गरीबी हटाओ और वर्तमान सरकार के काले धन, 15 लाख व अच्छे दिन की तरह ये भी एक फ़र्ज़ी घोषणा है, इसका कोई आधार नहीं है। दोनों, कांग्रेस और भाजपा ने असफल रहते हुए यह साबित कर दिया है कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”

उत्तर प्रदेश में सपा के साथ है बसपा मैदान में:

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस बार बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर प्रदेश की 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हर बार की तरह इस बार भी मुक़ाबला त्रिकोणीय है, लेकिन इस बार कांग्रेस को छोड़ दें, तो अन्य दो मोर्चें बराबर के नज़र आ रहे हैं। हालांकि प्रियंका गांधी की राजनीतिक सक्रियता तथा उन्हें पूर्वोत्तर यूपी का प्रभारी बनाने के बाद कांग्रेस की स्थिति में सुधार आया है, ऐसी संभावना प्रबल है। शायद इसी संभावना के चलते अब तक सिर्फ़ भाजपा के ख़िलाफ़ मुखर होने वाली मायावती अब कांग्रेस की भी आलोचना करने लगी है।

प्रियंका गांधी प्रभावी रही, तो सपा-बसपा पर असर पडेगा:

महीनेभर पहले ही देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के साथ मिलकर महागठबंधन की साथी बनने की प्रतीक्षा में थी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि, महागठबंधन का हिस्सा बनकर 80 में से करीब 15 सीट पर भी दावेदारी का मौक़ा मिल जाए, तो वह सम्मानजनक स्थिति होगी। अब जब मायावती और अखिलेश यादव ने आपस में ही बंटवारा करते हुए कांग्रेस को जगह नहीं दी, तो अकेले चुनाव लड़ने के सिवाय कोई विकल्प कांग्रेस पार्टी के पास नहीं था। यूपी में अकेले ही पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए पार्टी में नई जान फूंकनी ज़रूरी थी। आखिरकार, प्रियंका गांधी के रूप में कांग्रेस पार्टी ने यूपी में अपने नेतृत्वकर्ता का चयन किया। इंदिरा, राजीव और सोनिया गांधी के प्रभुत्व के चलते सूबे की राजनीति में प्रियंका की लोकप्रियता एक अरसे से रही है। ऐसे में यदि प्रियंका गांधी का जादू चलता है, तो निश्चित रूप से ही भाजपा के साथ सपा, बसपा को भी खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।

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