ममता, माया और राहुल, 2019 में विपक्षी राजनीति के त्रिध्रुव

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा सुप्रीमो मायावती और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी; ये तीन राजनेता वर्तमान में भारतीय राजनीति की विपक्षी धुरी के तीन अलग-अलग छोर बन चुके हैं। तीनों की ही राजनीतिक शैली हमेशा से भिन्न रही है, बावजूद इसके तीनों ही प्रमुख विपक्षी चेहरे के रूप में इस समय भाजपा और नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं। बंगाल में अपने एकतरफा प्रभुत्व से जहां केंद्रीय राजनीति में ममता बनर्जी का कद बढ़ा है, तो उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन कर मायावती ने अपने इरादें जता दिए हैं। इसी के साथ सर्वप्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अगुआ राहुल गांधी अपनी सक्रियता से मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राजनीतिक वैचारिकता और व्यवहारशीलता में तीनों भले ही मतभिन्नता रखते हो, लेकिन मोदी और भाजपा विरोध वह मसला है, जिस पर एकजुट होना इनकी महत्वाकांक्षा भी है तो मज़बूरी भी।

न माया, राहुल के यहां पहुंची न ममता के यहां:

2014 के चुनाव में शून्य पर सिमट जाने वाली बसपा की सुप्रीमो मायावती इस दफ़ा बेहद सधे हुए तरीके से राजनीतिक बाजी खेलती नज़र आ रही है। गोरखपुर और फूलपुर में मिली जीत के बाद मायावती समझ गई थी कि भले ही सीटों की संख्या के मामले में भाजपा कहीं आगे हो, लेकिन यूपी में अभी भी समाजवादी और बहुजनों का मत प्रतिशत सम्मानजनक स्थिति पर कायम है। यहीं कारण रहा कि 2019 से पहले मायावती ने महागठबन्धनी समीकरणों का इंतज़ार न करते हुए सपा के साथ साझेदारी कर तकरीबन आधी-आधी सीटें बांट ली।

विपक्षी नेताओं के घाट से अपने-आप को अलग दिखाने की महत्वाकांक्षा के चलते ही मायावती की बसपा ने न सिर्फ़ राजस्थान, मप्र और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ा, बल्कि इन राज्यों में कांग्रेस सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं पहुंची। इसी के साथ अभी पश्चिम बंगाल में हुई ममता बनर्जी की महारैली में भी मायावती अनुपस्थित ही रही।

ममता बनर्जी और राहुल गांधी भी अलग-अलग:

जिस तरह विपक्षी नेतृत्व करने की चाह में मायावती अपने आगे किसी को नहीं आने दे रही, करीब उसी तरह राहुल गांधी और ममता बनर्जी भी अपने आप को दोयम दर्ज़े का साबित नहीं होने देना चाहते। ये कमाल है कि हालियां तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में माया की तरह ममता बनर्जी भी नहीं दिखी थी, उसी तरह राहुल गांधी भी ममता की महारैली से नदारद रहे।

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