भारतीय क्रिकेट के दो महान पुरोधा सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर, जिन्होंने अपनी नाटी कद-काठी पर दशकों तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में देश की महानता को उठाए रखा। आश्चर्य होता है आज जब बड़ी आसानी से कुछ लोग इन्हें देशविरोधी कह देते हैं। देश विरोधी!! अरे भाई समझते भी हो देश विरोधी का मतलब!! जानते भी हो!! या फिर यूं ही झक से मुंह से जो आए वहीं उलट देते हो!! इतनी जाहिलाना दंभी सोच लाते कहां से हो भाई! पहले किसी को सुना करो, समझा करो, सोचा करो, विचारा करो और फिर मुंह खोला करो। सचिन और गावस्कर ने यह निर्णय नहीं सुनाया कि भारत विश्वकप में पाकिस्तान से ज़रूर ही मैच खेलेगा। उन्होंने सिर्फ अपनी बात रखी है, वह पक्ष समझाया है कि क्यों मैच खेला जाना चाहिए। हां इस वक़्त देश में पाकिस्तान के खिलाफ जो रोष की जनभावनाएं उमड़ रही हैं, उन्हें वो समझते हैं, लेकिन आपने तो उन्हें ही दुश्मन करार दे दिया, राष्ट्र विरोधी कह दिया। कमाल है!!
सचिन और गावस्कर की बात को समझिए:
पुलवामा में कायरता और छल-कपट से भारतीय सुरक्षा बलों के 40 से अधिक वीर जवानों को निशाना बनाने वाले पाकिस्तान और उसके घर में पल रहे आतंक पर सम्पूर्ण देश क्रुद्ध है, हम भी है, सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर भी हैं। ऐसे में दगाबाज़ पाकिस्तान से क्रिकेट मैच तो क्या किसी तरह का संपर्क भी नहीं रखा जाना चाहिए। आलोचना और निंदा पाकिस्तान व आतंक की कीजिए, सचिन और गावस्कर को बेवज़ह ट्रोल मत कीजिए। वर्ल्डकप में पाकिस्तान के खिलाफ 16 जून को प्रायोजित मैच नहीं खेलने की चर्चाओं के बीच सुनील गावस्कर ने कहा था कि ”यदि भारत वह मैच नहीं खेलता तो भारत की हार के समान होगा, क्योंकि आईसीसी के नियमानुसार भारत के मैच से हट जाने पर पाकिस्तान को 2 पॉइंट मिल जाएंगे। लेकिन यदि देश चाहता है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ न खेले तो मैं देश के साथ हूं।”
कुछ यहीं बात सचिन तेंदुलकर ने दोहराई थी। अपनी बात रखते हुए दोनों ही दिग्गजों ने देश की जनभावनाओं को सबसे आगे माना। ऐसे में अनायास ही, बिना जाने ही, कुछ लोग सचिन और गावस्कर से इतना चिढ़ क्यों गए! आप इतने अधीर कैसे हो सकते हैं! आप स्वघोषित राष्ट्रभक्ति के दर्प में इतने मगरूर कैसे हो सकते हैं! तमाशा बनाकर रख दिया आप लोगों ने देश और देशभक्ति को। उम्मीद है आप अपनी देशभक्ति का ‘मेंटल टेस्ट’ ज़रूर करवाएंगे। और फिर ज़रूर मनन करेंगे कि देश के नाम अनेकों रिकॉर्ड बनाने वाले, सैंकड़ों पुरस्कार जीतने वाले सचिन और गावस्कर को आप देशद्रोही और सत्ता के सींकचों से सटे बैठे संकीर्णों को देशभक्त कैसे मान सकते हैं!
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