मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज़ा माफ़, अब राजस्थान की बारी

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सियासत में जनादेश जिस हद तक चुनावी वादों और घोषणाओं पर निर्भर करता है, ठीक उसी तरह चुनाव बाद उन घोषणाओं और वादों की परिहार्यता भी बढ़ती जाती है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में चुनाव के नतीजों के बाद इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बन गई है। कल सोमवार को नई सरकार का शपथ ग्रहण भी संपन्न हो चुका है। चुनाव पूर्व तीनों प्रदेशों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार बनने के 10 दिनों के अंदर किसानों की क़र्ज़ माफ़ी करने का एलान किया था। इन राज्यों में पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी इस लुभावने वायदे को शामिल किया था। चूंकि अब सत्ता बदल चुकी है। नई सरकार कार्यशील हो चुकी है, तो  वक़्त हो चला है उन घोषणाओं को अमली जामा पहनाने का। इस बात को ध्यान में रखकर जहां मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के लिए दस्तखत कर दिए हैं तो अब जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की बनती है कि वह जल्द ही अपना वचन पूरा करते हुए अन्नदाता के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाए।

मार्च 2018 तक 2 लाख रुपए तक का क़र्ज़ माफ़ किया मप्र सरकार ने:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर शपथ लेने के बाद ही कमलनाथ ने सरकार बनने के पहले दिन ही प्रदेश के किसानों को क़र्ज़ से राहत देने का काम किया है। इसके तहत मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 31 मार्च 2018 तक सहकारी एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों से छोटी अवधि का फसली ऋण लेने वाले किसानों का 2 लाख रूपए तक का क़र्ज़ माफ़ करने का एलान किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने किया 6100 करोड़ रुपए की कर्जमाफी का एलान:

नई सरकार के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार की पहली कैबिनेट बैठक होने पर राज्य के 16.65 लाख किसानों का 6100 करोड़ रूपए का फसली ऋण माफ़ करने का एलान कर दिया है।

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