भारत के निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए समय सारिणी निर्धारित कर दी है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही केंद्र सरकार अगले 74 दिनों के लिए आचार संहिता के दायरे में आ गई है। ऐसे में कुल सात चरणों में देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव करवाना निश्चित किया गया है। इसी के साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ ही संपन्न करवाए जाने की घोषणा की गई है। लेकिन अनुमानों के विपरीत जम्मू-कश्मीर राज्य में अभी विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। इस राज्य के लिए चुनाव आयोग की तरफ़ से 3 विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। देश में 11 अप्रैल 2019 को चुनाव का पहला चरण संपन्न होगा तथा 19 मई को सातवां आखिरी चरण संपन्न होगा। इसके बाद 23 मई को सभी सीटों के नतीजे सामने आ जाएंगे।
महीनेभर से अधिक चलेगा चुनावी कार्यक्रम:
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निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित किए गए सम्पूर्ण चुनावी कार्यक्रम को देखें तो निर्वाचन का पहला चरण 11 अप्रैल के दिन होगा। प्रथम चरण में कुल 91 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। 18 अप्रैल को द्वितीय चरण में 97 सीटों पर, 23 अप्रैल को तीसरे चरण में 115 सीटों पर, 29 अप्रैल को चौथे चरण में 71 सीटों पर, 6 मई को पांचवें चरण में 51 सीटों पर, 12 मई को छठे चरण में 59 सीटों पर और 19 मई को अंतिम सातवें चरण में 59 लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न करवाए जाएंगे। इसके बाद 23 मई को मतगणना होगी व नतीजें प्रकाशित किए जाएंगे।
चुनाव के पहले चरण की महत्वपूर्ण तारीखें:
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का गजट नोटिफिकेशन 18 मार्च को जारी किया जाएगा। नामांकन का अंतिम दिन 25 मार्च होगा, इसके अगले दिन 26 मार्च तक नामांकन की जांच की जाएगी। 28 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे और 11 अप्रैल को मतदान का आयोजन होगा।
उम्मीदवारों को देनी होगी सोशल मीडिया खातों की पूरी जानकारी:
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि चुनाव के दौरान सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का वीडियोग्राफी की जाएगी। चुनाव आयोग विभिन्न चरणों का बारीकी से निरीक्षण करने के लिए पर्याप्त संख्या में विभिन्न पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगा। इसके लिए नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र टोल फ्री नंबरों के साथ स्थापित किए जाएंगे। देशभर के सभी पोलिंग बूथों पर वीवीपैट की व्यवस्था होगी। इसी के साथ इस बार चुनाव आचार संहिता सोशल मीडिया पर भी लागू होगी। इसके तहत सोशल मीडिया (एसएम) विशेषज्ञ भी मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति का हिस्सा होंगे। सभी उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के पास अपने सोशल मीडिया खातों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।