प्रयागराज के कुम्भ में इस बार होंगे 192 देशों के पर्यटक

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले वर्ष आयोजित होने वाले कुम्भ मेले में इस बार रौनक अलग ही होगी। पूरे भारत में आस्था का महापर्व माने जाने वाले कुम्भ में इस बार यूपी की योगी सरकार चार चाँद लगाने की तैयारी कर रही है। 12 साल में चार बार आयोजित होने वाला कुम्भ वैसे तो दुनियाभर में अपनी अनोखी संस्कृति, आस्था व श्रद्धा के संगम के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार यूपी सरकार इसकी पहचान और बढ़ाने वाली है। इसके लिए यूपी सरकार ने इस दिसंबर 192 देशों के राजदूतों को प्रयागराज में आमंत्रित किया है। इसके द्वारा यूपी सरकार इस महोत्सव की वैश्विक ब्रांडिंग करने जा रही है। इससे उन सभी देशों के पर्यटकों इस महोत्सव की तरफ आकर्षित होंगे।

मकर संक्रांति से शुरु होगा स्नान:

श्रद्धा का महापर्व कुम्भ विशेष तौर पर इसके अमृतमय स्नान के लिए जाना जाता है। विशेष दिनों में होने वाले स्नान के लिए प्रयागराज के घाट पर तैयारियां ज़ोरों-शोरों पर हैं। इसमें मुख्यतः छह दिन स्नान होंगे। स्नान का प्रारम्भ मकर संक्रांति से होगा। इसके बाद पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा, महाशिवरात्रि आदि स्नान के प्रमुख दिन होंगे। सभी स्नान का स्थान प्रयागराज का संगम होगा।

12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आएंगे:

वैसे तो कुम्भ दुनियाभर में इसके करोड़ों पर्यटकों के लिए विख्यात है। यह एक संगम होता है जहां करोड़ों श्रद्धालु एक साथ स्नान करते हैं। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की माने तो प्रयागराज के कुम्भ में इस बार दुनियाभर से 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आएंगे।

यूनेस्कों ने माना अमूर्त धरोहर, 12 साल में चार बार होता है आयोजन:

भारत में हर तीन साल बाद आयोजित होने वाला कुम्भ मेला दुनियाभर में किसी एक स्थान पर एकत्रित होने वाले सर्वाधिक लोगों और इसके आयोजन के दौरान करोड़ों अस्थाई आवासों के निर्माण के कारण यूनेस्को की अमूर्त विरासत में सम्मिलित किया गया है। कुम्भ का आयोजन प्रत्येक 12 साल में चार विभिन्न स्थानों पर किया जाता है। इस तरह प्रत्येक स्थान की बारी फिर अगले 12 साल बाद आती है।

चार विभिन्न स्थान, चार विभिन्न नदियों में स्नान:

कुम्भ प्रत्येक 12 वर्षों में चार विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है। हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में क्रमशः गंगा, शिप्रा, गोदावरी और गंगा, यमुना, सरस्वती की संगम प्रयाग नदी में स्नान का आयोजन किया जाता है।

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