राफेल विमान सौदे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ चुका है। न्यायालय ने सौदे में अनियमितताओं को लेकर उठ रही सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। राफेल को लेकर जहां विपक्ष अब तक मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक होकर घेराबंदी कर रहा था, वहीं शीर्ष अदालत ने अपने इस फैंसले द्वारा मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है।
न्यायालय के इस फैंसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय सौदे की प्रक्रिया, विनिर्देशों एवं कीमत की जांच नहीं कर सकता, अतः इस मुद्दे पर जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए। जेपीसी यानी ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी/संयुक्त संसदीय समिति जिसका गठन संसद के दोनों सदनों द्वारा गंभीर मामलों की जांच के लिए किया जाता है।
बहुमत प्राप्त दल के अधिक सदस्य होते हैं जेपीसी में:
संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि जेपीसी में दोनों सदनों से अधिकतम 30 – 31 सदस्य होते हैं। समिति में लोकसभा के सदस्य राज्यसभा की तुलना में दोगुने होते हैं। समिति का अध्यक्ष बहुमत प्राप्त दल का सदस्य होता है तथा समिति में बहुमत प्राप्त दल के अधिक सदस्य होते हैं। समिति को जांच पूरी कर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट संसद के समक्ष रखनी होती है।
जांच की असीमित शक्तियां होती है जेपीसी के पास:
जेपीसी के पास सम्बंधित मामले के अंतर्गत जांच की असीमित शक्तियां होती है। समिति जिस मामले की जांच के लिए गठित की जाती है, उससे सम्बंधित किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था से पूंछताछ कर सकती है। जेपीसी द्वारा निर्देशित करने के पश्चात यदि कोई व्यक्ति या संस्था उसके समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं, तो यह संसद की अवमानना के अंतर्गत आता है। जेपीसी को यह अधिकार है कि वह मौखिक, लिखित अथवा दोनों तरीकों से जवाब तलब कर सकती है।
2-जी सहित इन मामलों पर पहले भी हो चुका है जेपीसी का गठन:
ज़रूरी नहीं कि जेपीसी का गठन किसी घोटाले की जांच के लिए ही किया जाए, वरन किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर संसद में जेपीसी गठित की जा सकती है। गौरतलब है कि पहली बार साल 1987 में बोफोर्स तोप सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच को लेकर इसका गठन किया गया था। इसके बाद 1992 में सुरक्षा एवं बैंकिंग लेन-देन के मुद्दे पर, 2001 में स्टॉक मार्केट घोटाले को लेकर, 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक एवं पेय पदार्थों में कीटनाशक इस्तेमाल के विवाद पर, 2011 में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 2013 में वीवीआईपी चॉपर घोटाला जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त वर्तमान मोदी सरकार में साल 2015 में भूमि अधिग्रहण पुनर्वास बिल को लेकर तथा 2016 में एनआरसी लागू करने के विमर्श पर को लेकर जेपीसी गठित की जा चुकी है।