भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी की भाषण शैली में साल 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले से एक ख़ास तरह की विशेषता देखी जा रही है। नीली जींस और सफ़ेद कुर्ते को देश में युवा राजनेताओं का परिधान बनाने वाले राहुल इन दिनों एक सोची-समझी रणनीति के तहत सभा, रैलियों व रोड शो में बोलते हुए नज़र आते है। अपने भाषण के दौरान राहुल बार-बार हाथ उठाते हुए जनता से संपर्क साधते है, कभी अपने कुर्ते की आस्तीन ऊपर चढ़ाते है, तो कभी माइक ठीक करते है। इसी के साथ ऐसे कई विषय होते हैं जिन्हें अक्सर हर राज्य, हर क्षेत्र में उठाते हुए राहुल वर्तमान सरकार की घेराबंदी करते है।
किसान कर्जमाफ़ी और युवाओं को रोजगार को बनाते हैं मुद्दा:
2019 में सत्ता के करीब जाने के लिए किसान कर्जमाफ़ी और युवाओं के लिए रोजगार, ये दो प्रमुख मुद्दें है जिन्हें कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने इख्तियार कर रखा है।
कभी इन मसलों पर जहां वामपंथी राजनीति का आधार टिका हुआ था, वहीं आज राहुल और कांग्रेस ने इन्हें अपना बना लिया है। यहीं कारण है कि राहुल जहां भी जाते है देश में रोजगार की कमी और किसान कर्जमाफ़ी के मोर्चे पर मोदी सरकार को नाकाम बताते हुए कांग्रेस की सरकार बनने पर 10 दिनों में किसान कर्जमाफ़ी की घोषणा कर देते है।
चीन से करते हैं देश में रोजगार की स्थिति की तुलना:
अपने भाषणों के दौरान राहुल गांधी देश में रोजगार और विकास की स्थिति की तुलना चीन से करते है। युवाओं को सम्बोधित करते हुए राहुल उन्हें देश में घटते रोजगार के प्रति ध्यान दिलाकर चीन के अधिक रोजगार के आंकड़े पेश करते है। इसके साथ ही राहुल मेक इन इंडिया व मोदी सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं को भी विफल बताते है।
भाजपा और आरएसएस पर नफ़रत और दुर्भावना फैलाने वाला दर्शाते है:
राहुल गांधी अपने लगभग हर भाषण में सत्ताधारी भाजपा और आरएसएस पर देश में नफ़रत और द्वेष बढ़ाने का आरोप मढ़ते है। राहुल कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को महात्मा गांधी के सिद्धांतों से जोड़ते हुए भाजपा को धार्मिक उन्माद, अस्वीकार्यता और असहिष्णुता की रीत चलाने का ज़िम्मेदार ठहराते है।
राफेल के साथ ही बड़े-बड़े उद्योगपतियों व कॉर्पोरेट्स को मिलने वाली सरकारी सहूलियतों पर निशाना साधते है:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चाहे देश के किसी भी हिस्से में सम्बोधन दें, हर बार राफेल सौदे की अनियमितता पर सीधे तौर पर प्रधानमन्त्री को घेरते हुए उन्हें चौकीदार कहते है। इस दौरान राहुल प्रधानमन्त्री मोदी पर देश के बड़े कॉर्पोरेट्स को फ़ायदा पहुंचाने के आरोप लगाते है। सरकार द्वारा कॉर्पोरेट्स का कर्ज़ा माफ़ करने, बैंकों का बढ़ता एनपीए व भगौड़े व्यापारियों के विषय पर सरकारी निष्क्रियता के मसले भी राहुल उठाते है। राहुल मोदी को उद्योगपतियों का अच्छा मित्र बताते हुए आम, मध्यम और कमज़ोर आर्थिक तबके के लोगों से जुड़ने की कोशिश करते है।
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