पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंकियों पर भारत की जवाबी कार्यवाही एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया था। पीओके में घुसकर भारतीय वायुसेना ने आतंकी अड्डे उड़ा दिए। इसके बाद हद लांघकर भारत की तरफ बढ़ते हुए पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को हमारी वायुसेना ने मार गिराया। इसी दौरान हमारे विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान का विमान मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त होकर पीओके में दाखिल हो गया। अभिनंदन सही-सलामत कूदकर बाहर आ गए, लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा बंधक बना लिए गए।
कारगिल युद्ध के समय नचिकेता को बंदी बनाया था:
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन की यह कहानी ठीक 20 साल पहले कारगिल युद्ध के समय फ्लाइट लेफ्टिनेंट कम्बमपति नचिकेता (अब ग्रुप कैप्टन) जैसी है। साल 1999 की 27 मई को नचिकेता मिग-27 एयरक्राफ्ट उड़ाते हुए पाक सीमा में जा पहुंचे थे। जमीनी लक्ष्य के बाद नचिकेता दूसरे राउंड की उड़ान पर बटालिक सेक्टर में प्रवेश कर गए थे। तभी नचिकेता के एयरक्राफ्ट के इंजन में खराबी आ गई। ज़मीन से हवा में मार करने वाली एक अमेरिकन ‘स्टिंगर’ नचिकेता के एयरक्राफ्ट से टकरा गई थी। एयरक्राफ्ट आगे एक पहाड़ी से टकराने वाला था, अंतिम समय पर नचिकेता पैराशूट से बाहर आ गए। इसके बाद नचिकेता बताते हैं कि ”जहां मैं गिरा वह इलाका बर्फ की वजह से पूरा सफेद था। वहां मेरे आस-पास गोलियां चलाई जा रही थी। मुझे कैसे-न कैसे बचने के लिए कवर हासिल करना था। अपनी छोटी बन्दूक से मैनें उस ओर गोलिया चलाई, जहां से फायरिंग हो रही थी। मेरी गोलिया ख़त्म हो गई थी, तभी पाकिस्तानी नॉर्दन लाइट इन्फेंट्री के 6 – 7 सैनिकों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद जो यातना मुझे दी गई वो बहुत बुरी थी। ऐसे समय लगने लगा कि मृत्यु इससे सरल है, लेकिन मुझे भारत वापस आना था। पाकिस्तानियों द्वारा मुझसे पूछताछ की जा रही थी। तब मेरी वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयत्नों के बारे में मुझे जानकारी नहीं थी, लगने लगा कि फिर कभी लौट नहीं पाऊंगा।”
8 दिनों बाद भारत लौटे थे नचिकेता:
भारतीय वायुसेना के फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता के पाकिस्तानी क़ैद में होने की खबर से भारतभर के लोग चिंतित थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जसवंत सिंह विदेश मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे। भारत सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव डाला और 1949 के विस्तृत जेनेवा कन्वेंशन की पालना में 8 दिन बाद 3 जून के दिन पाकिस्तान को नचिकेता को रिहा करना पड़ा। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति के अधिकारियों द्वारा भारतीय उच्चायोग में लाया गया। तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वीर नचिकेता का स्वागत किया। देश सेवा में उनके समर्पित भाव के लिए राष्ट्रपति केआर नारायणन द्वारा वायुसेना मैडल से सम्मानित किया गया।
जेनेवा कन्वेंशन के तहत अभिनंदन को रिहा करना ही होगा:
साल 1929 में अस्तित्व में आया और फिर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1949 में विस्तृत रूप लेने वाला जेनेवा कन्वेंशन युद्धबंदियों की सुरक्षा का प्रावधान सुनिश्चित करता है। इसके तहत युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए कैदियों को पूरी सुरक्षा देनी होती है, उनके स्वास्थ्य व मौलिक आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है। आठ दिनों के अंदर युद्धबंदी को रिहा करना होता है, अन्यथा विश्व बिरादरी उस देश के खिलाफ हो जाती है। चरमराती अर्थव्यवस्था और तमाम तरह की अव्यवस्थाओं से जूझते पाकिस्तान को भी जेनेवा कन्वेंशन की पालना करते हुए हमारे विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करना ही होगा।
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