जानिए भीम आर्मी अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण को, जो अपने आप को बिकाऊ नहीं टिकाऊ बताते है

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भीम आर्मी के संस्थापक एवं अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद रावण का नाम इन दिनों राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। जहां एक तरफ़ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रावण से मुलाक़ात की तो वहीं रावण ने आगामी लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा पूरे विश्वास से कर दी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल चंद्रशेखर को समर्थन देगा या नहीं, लेकिन खुद चंद्रशेखर इसे अपने बूते की लड़ाई बता रहे है। तो आइए ऐसे में जानते हैं कि कौन है चंद्रशेखर आज़ाद रावण!

पेशे से एडवोकेट है चंद्रशेखर रावण:

साल 2014 में उत्तरप्रदेश के सहारनपुर के अपने गांव छुटमलपुर के युवाओं को साथ लेकर आधिकारिक तौर पर भीम आर्मी संगठन की स्थापना करने वाले चंद्रशेखर रावण पेशेवर एडवोकेट है। लोकप्रियता के चलते उन्होंने अपने नाम के आगे रावण शब्द जोड़ा है। चंद्रशेखर अपने आप को भीमराव अम्बेडकर और बहुजन नेता कांशीराम के मिशन के लिए समर्पित कार्यकर्ता मानते है। चंद्रशेखर के अनुसार वे नास्तिक है, लेकिन बौद्ध मत और संत रविदास में आस्था रखते है।

भीम आर्मी चंद्रशेखर का अपना अलग स्वायत्त संगठन है, जिसने अभी तक विधायिका का एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। बावजूद इसके भीम आर्मी की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमुख कारण समय-समय पर दलित/अनुसूचित समुदाय के लिए आंदोलन करना, उनके अधिकारों की आवाज़ उठाना है। बताया जाता है कि भीम आर्मी सहारनपुर और इसके आसपास चन्दा इकट्ठा कर सामजिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। गरीब लड़कियों की शादी करवाना, रक्तदान शिविर का आयोजन व निःशुल्क कोचिंग सेंटर द्वारा छोटे बच्चों को शिक्षा देने का काम भी भीम आर्मी कर रही है।

गिरफ्तारियों से चर्चा में रहे है रावण:

चंद्रशेखर आज़ाद रावण चर्चा में आते है साल 2017 की मई से, जब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भीमराव अम्बेडकर की मूर्ती लगाने को लेकर स्थानीय ठाकुर समुदाय और अनुसूचित जाति के लोगों के मध्य विवाद हो गया था। उसके बाद गांव में बिना प्रशासन की इज़ाज़त के महापंचायत बुलाने और हिंसा भड़काने के मामले में चंद्रशेखर को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर, जेल में डाल दिया था। 10 महीने बाद जमानत मिली तो अगले दिन रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून) के तहत एनएसए लगाकर फिर जेल में डाल दिया गया। इसके बाद सितम्बर 2018 में रावण को रिहा किया गया।

हाल ही में एक बार फिर से रावण को गिरफ्तार किया गया है। सहारनपुर के पास देवबंद में बहुजन अधिकार यात्रा निकाल रहे रावण को आचार संहिता के उल्लंघन में और संख्या से अधिक तादाद में बाइक लाने के कारण यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद चंद्रशेखर की तबीयत बिगड़ गई और फिलहाल वो मेरठ के आनंद अस्पताल में भर्ती है। भीम आर्मी की योजना 15 मार्च को राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती के अवसर पर बड़ी रैली करने की है।

अपने आप को बिकाऊ की जगह टिकाऊ और नीम की तरह कड़वा बताने वाले चंद्रशेखर राजनीति में किसी दल का समर्थन नहीं करते लेकिन बहुजन केंद्रित राजनीति के कारण बसपा का सहयोग करने की बात कह चुके है। चंद्रशेखर और उनकी भीम आर्मी ने 13 पॉइंट रोस्टर, लाखों आदिवासियों को जंगल से बेघर करने के ख़िलाफ़ व बहुजन समाज की अन्य मांगों को लेकर जनांदोलन का नेतृत्व किया है। ऐसे में देखना रोचक होगा कि वाराणसी से चुनाव लड़ने पर रावण को किन संगठनों व दलों का सहयोग मिलेगा!

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