भाषणों से तो यहीं लगता है कि रोजगार और विकास पर नहीं, राष्ट्रवाद पर चुनाव लड़ना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी

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लोकसभा चुनाव- 2019 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी अभियान का आगाज़ कर चुके हैं। ऐसे में मोदी देशभर का चुनावी दौरा करते हुए तरह-तरह की अजीब-ओ-गरीब बातें देश को बताने वाले हैं, जिसकी उम्मीद भारत के ज़िम्मेदार प्रधानमंत्री से तो कतई नहीं की सकती। मोदी 28 मार्च, बुधवार को ट्वीट कर कह चुके हैं कि अगले कुछ दिनों में, वे आगामी लोकसभा चुनावों के लिए देश भर में यात्रा करेंगे, और इन रैलियों को NaMo App पर लाइव देखने की कह रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री का यह ऐलान देश के लिए किसी राजनैतिक दल के कार्यकर्ता की आम घोषणा से अधिक मायने नहीं रखता। क्योंकि इसमें संदेह नहीं कि अगले करीब 2 महीनों तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की जगह स्पष्ट तौर पर पार्टी सदस्य की भूमिका ही निभाने वाले हैं। इस चुनाव में जीत की तिगड़म बैठाकर फिर से भाजपा सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने वाले हैं। 2014 में देश की जनता से अच्छे दिनों का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार यह बखूबी समझती है कि इन पांच वर्षों में वह जनाकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई है। ऐसे में चुनाव का विषय इस बार रोजगार, महंगाई, भ्रष्टाचार को नहीं बनाया जा रहा है, गैर ज़रूरी मसलों पर जनसामान्य को व्यस्त रखा जा रहा है। अपने सभा-सम्बोधनों में मोदी राष्ट्रवाद पर मुखरता से बोल रहे हैं, लेकिन रोजगार और विकास पर चुप्पी साधे बैठे हैं।

राष्ट्रवाद पर जनता को भटकाए रखना आसान है, और मोदी इसमें माहिर नज़र आते हैं:

प्रधानमंत्री मोदी अपनी चुनावी सभा-रैलियों में पाकिस्तान, आतंकवादी, राष्ट्रवाद, वीर जवानों, सबूत मांग जैसे विषयों पर लगातार बोलते जा रहे हैं। कारण स्पष्ट है कि इन मसलों पर देशवासियों को बहकाना और भटकाए रखना आसान है। मोदी भाजपा और अपने दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद को देश पर थोपने में लगे हैं। हमारे सैनिकों के शौर्य पर बात करें न करें लेकिन उसमे अपनी भूमिका ढूंढकर उसका बखान करने से मोदी चूक नहीं रहे। प्रधानमंत्री मोदी बगैर सर-पैर वाली बात देश की जनता के सामने खुलेआम कह रहे हैं कि ”विपक्ष और पाकिस्तान का कोई कनेक्शन है।” विपक्षी दलों के गठबंधन को अपनी भाषाई अज्ञानता दर्शाते हुए ‘शराब’ बता रहे हैं। यह आरोपों में निकृष्टता की श्रेणी है, इस तरह से देश के किसी अन्य प्रधानमंत्री ने कभी अपने राजनैतिक विपक्षियों को हीन नहीं दर्शाया। इसका श्रेय निश्चित तौर पर नरेंद्र मोदी को ही जाना चाहिए।

सरकार रोजगार के आंकड़ें क्यों छुपाए हुए है, प्रधानमंत्री इस पर बात नहीं करते, अच्छे दिन, काला धन, अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित, महिला अत्याचार पर ज़बान नहीं खोलते। सिर्फ राष्ट्रवाद पर बोलते हैं, पाकिस्तान पर कहते हैं और देश को उसी और लगाए रखते हैं। प्रधानमंत्री के इन भाषणों को सुनकर ऐसा लगता है, कि पिद्दी सा पाकिस्तान ही हमारे देश की सबसे बड़ी बीमारी है, और राष्ट्रवाद पर मोदी जी की बेतुकेबाजी सबसे असरकारक डोज़।

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