अभी पिछले महीने की 4 तारीख को ‘वर्ल्ड कैंसर डे’ पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने ट्वीट किया था- ‘मनुष्य का दिमाग किसी भी व्याधि से उभर सकता है।’ कल 17 मार्च 2019 की शाम 8 बजे पर्रिकर के निधन की खबर सामने आई तो लगा कि जैसे कर्तव्यों का मग रोकती मौत को हर क्षण चुनौती देती एक जिजीविषा का अंत हो गया। देश के पूर्व रक्षामंत्री पर्रिकर करीब सालभर से बीमारी की गंभीर अवस्था से गुज़र रहे थे, अग्नाशय की सूजन और कैंसर से जूझ रहे थे। बावजूद गोवा के मुख्यमंत्री बने हुए थे, स्वास्थ्य चिंताजनक था, ड्रिप के सहारे पोषण लेते थे, दुबले हो चुके थे लेकिन लगातार काम कर रहे थे। कल जब पर्रिकर ने दुनिया छोड़ी तब उनके पास कोई फाइल पेंडिंग नहीं थी। इस तरह अंतिम सांस तक गोवा की सेवा करने का वादा करने वाले पर्रिकर अपने शब्दों पर पूरी तरह खरे उतरे।
आईआईटी से पढ़ाई की, चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने:
साल 1955 में गोवा के मापुसा में जन्में मनोहर पर्रिकर विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बद्ध रहे। होनहार छात्र थे, तो आईआईटी में प्रवेश लिया। वर्ष 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटेलर्जिक इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हुए। आरएसएस से जुड़े रहे, संगठन में प्रमुख दायित्वों का निर्वहन किया, संघचालक नियुक्त हुए। फिर 1988 में सक्रिय तौर पर भाजपा में शामिल हुए और 1994 में पणजी से चुनाव जीतकर गोवा विधानसभा के सदस्य बने। साल 2000 में दोबारा विधायक निर्वाचित हुए, जैसे-तैसे भाजपा ने बहुमत जुटा लिया तो मुख्यमंत्री चुने गए। फरवरी 2002 के आखिर में सरकार गिर गई। उसी वर्ष जून में फिर मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए, 2005 तक दायित्व संभाला। 2012 में पर्रिकर तीसरी बार गोवा के मुखिया बने। देश के 16वें आम चुनाव के लिए भाजपा की तरफ़ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी का समर्थन किया। 2014 में जब भारी बहुमत के बूते केंद्र में मोदी सरकार का गठन हुआ तो पर्रिकर को रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया। साल 2016 में पाकिस्तान में घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के समय पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे। 2017 में जब गोवा विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने पर्रिकर को गोवा भेज दिया। पर्रिकर चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए।
सादगी का पर्याय माने जाते थे पर्रिकर:
वीआईपी कल्चर वाले परिवेश में मनोहर पर्रिकर को सादगी का प्रतिमान माना जाता था। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पर्रिकर अपने घर में रहा करते थे। पेण्ट-शर्ट और सादी चप्पल के साथ सर्दी में स्वेटर पहनने वाले पर्रिकर स्कूटर से विधानसभा जाया करते थे। बताते हैं कि एक बार एक बड़ी कार से पर्रिकर का स्कूटर टकरा गया था। कार सवार ने कहा कि ‘मैं गोवा डीएसपी का बेटा हूं’, तब हेलमेट उतारते हुए पर्रिकर बोले- ‘मैं गोवा का मुख्यमंत्री हूं।’ साल 2001 में पर्रिकर की पत्नी का कैंसर के कारण देहांत हो गया था। कर्तव्यनिष्ठ पर्रिकर ने पारिवारिक समस्या को कर्तव्यों के आड़े नहीं आने दिया और उन दिनों भी अपना हर काम समय पर निपटाया। अत्यंत सीधी-सादी शख्सियत मनोहर पर्रिकर हर मोड़ पर अपनी विचारधारा से जुड़े रहे, राजनैतिक स्वार्थसिध्दि से हमेशा दूरी बनाई रखी। यही कारण है कि गोवा में जन-जन के मुख्यमंत्री माने जाने वाले पर्रिकर भाजपा के साथ ही अन्य विपक्षी और सहयोगी पार्टियों के लिए सदैव ही सम्मानित रहे।