जिताऊ उम्मीदवारों के लिए निर्दलीय खड़ी कर सकते हैं मुश्किलें।

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राजस्थान विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को होने को है। प्रदेश की सभी 200 सीटों पर सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी तैयारियों के साथ लामबंद है। प्रदेश के अनेकों राजनैतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार इस चुनाव में प्रत्यक्षतः भागीदार है। हालांकि स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार होता है इसलिए किसी भी सीट से अधिक दावेदारों का चुनाव लड़ना सकारात्मकता की निशानी होती है। लेकिन अन्य चुनावी उम्मीदवारों के लिए इसमें राजनैतिक नफा-नुकसान की संभावनाएं छिपी होती हैं। इस तरह से देखा जाए तो इन चुनावों में जहाँ अलग-अलग राजनैतिक पार्टिया बड़े उत्साह से भागीदारी कर रही है वहीँ अनेकों निर्दलीय उम्मीदवार भी ऐसे हैं जो जिताऊ प्रत्याशियों का सर दर्द बन चुके हैं।

22 नवम्बर थी नाम वापसी की अंतिम तारीख:

राजनैतिक पार्टियों व संगठनों द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज़ कई बागी व निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस चुनाव में दावेदारी की हैं। नामांकन की अंतिम तिथि 19 नवम्बर के बाद चुनाव आयोग द्वारा नाम वापसी के लिए 3 दिन दिए थे। अंतिम दिन तक नाम वापसी के बाद भी अब तक शहर की 10 सीटों पर 236 उम्मीदवार मैदान में डटे हैं। इनमें से कोई भाजपा, कोई कांग्रेस तो कोई दोनों राजनीतिक दलों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।

आदर्श नगर में खेल बिगाड़ सकते हैं बद्री सिंह:

शहर की आदर्श नगर विधानसभा में सर्व समाज की ओर से बतौर प्रत्याशी मैदान में संघर्ष कर रहे बद्री सिंह इस सीट को निकाल ले जाए, इसकी संभावना तो न के बराबर है, लेकिन यह निश्चित है कि 10 – 15 हज़ार वोट अपनी तरफ करके बद्री सिंह इस सीट का खेल ज़रूर कठिन कर देंगे। सर्व समाज की तरफ से दावेदारी करने वाले बद्री सिंह मुख्यतः क्षेत्र के हिन्दू मतदाताओं को अपनी ओर करके दो बार से क्षेत्र के विधायक अशोक परनामी के लिए बहुत हद तक मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

विद्याधर नगर में बागी हो चुके हैं दो बार के कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह:

विद्याधर नगर विधानसभा में इस बार बागी होने वाली शख्सियत है पिछली दो बार से कांग्रेस प्रत्याशी रहे विक्रम सिंह शेखावत। शेखावत को पिछली दोनों बार भाजपा के नरपत सिंह राजवी ने करारी शिकस्त दी। इसलिए इस बार पार्टी ने चेहरा बदलते हुए क्षेत्र के जाने-माने उद्योगपति सीताराम अग्रवाल को टिकट दे दिया। पिछली दो बार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शेखावत की पकड़ राजपूत समुदाय के साथ ही क्षेत्र के सभी जाति-समाज में भी है। इसलिए आसार है कि भाजपा और कांग्रेस, शेखावत दोनों पर भारी पड़ने वाले हैं।

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