राजस्थान विधानसभा- 2018 के चुनाव में राजधानी जयपुर के परकोटे की विधानसभा सीट ‘हवामहल’ वह क्षेत्र है जो बहुत हद तक शहर के व्यापारी वर्ग के रुख पर निर्भर करती है। इस सीट पर भाजपा की तरफ से जहां दो बार के विधायक सुरेंद्र पारीक को उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं कांग्रेस की तरफ से जयपुर शहर के पूर्व सांसद महेश जोशी को क्षेत्र से कमान सौंपी गई है। इस मुक़ाबले में यह कह पाना कि कौन उम्मीदवार या पार्टी, विपक्षी पर हावी रहेगा, एक हद तक बेमानी हो सकती है। पिछले चुनावी ट्रेंड पर नज़र डाले तो क्षेत्र में भाजपा का तोड़ आसान नज़र नहीं आता, वहीं स्थानीय जनों की माने तो यह चुनाव दोनों राजनैतिक दलों के लिए कांटे की टक्कर हो सकता है।
अपराजित रहे हैं सुरेंद्र पारीक:
हवामहल विधानसभा से वर्तमान विधायक सुरेंद्र पारीक 2003 के चुनाव में भी यहां से विधायक रह चुके हैं। 2003 में पारीक कांग्रेस के रिखब चंद्र शाह को करीब 17 हज़ार वोटों से हराकर विजयी हुए थे, वहीं 2013 में कांग्रेस के बृजकिशोर शर्मा को 12 हज़ार से अधिक मतों से पटखनी दी थी।
ब्राम्हण सीट के रूप में ख्यात:
जयपुर शहर के बीचोंबीच आने वाली हवामहल विधानसभा सीट के साथ एक रोचक बात यह भी है कि हर बार ब्राम्हण उम्मीदवार के विजयी होने से यह ब्राम्हण सीट के रूप में ख्यात हो गई है। यहां इस वर्ग का प्रभाव इतना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां ही यहां से ब्राम्हण प्रत्याशी मैदान में उतारती रही है।
भाजपा का गढ़ रही है हवामहल विधानसभा:
हवामहल सीट का इतिहास देखा जाए तो आज़ादी के बाद अब तक यहां हुए 13 विधानसभा चुनावों में केवल 2 अवसर ऐसे आए हैं, जब यह सीट कांग्रेस जीत पाई है। पहली बार 1957 में राम किशोर व्यास और दूसरी बार 2008 में भाजपा की मंजू शर्मा को हराने वाले बृजकिशोर शर्मा जीत के चेहरे रहे। इन दो मौकों को छोड़ दिया जाए तो यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का अजेय गढ़ रहा है। जनसंघ के मज़बूत आधार गिरधारी लाल भार्गव भी इस क्षेत्र से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। इसके अलावा दिग्गज ब्राम्हण नेता भंवर लाल शर्मा भाजपा प्रत्याशी के तौर पर यहां से 6 बार विधायक रह चुके हैं।
ऐसे में अब यह देखना रोचक होगा कि क्या भाजपा के प्रति स्थापित हो चुकी एंटी इंकम्बेंसी के फैक्टर को भुना पाने में कांग्रेस सफल हो पाती है या फिर भाजपा फिर एक शानदार जीत का स्वाद चखती है।