सरकारी दावों से दूर है स्वच्छ भारत मिशन की ज़मीनी सच्चाई, संसदीय समिति की रिपोर्ट में खुलासा

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photo: HT

मोदी सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना ”स्वच्छ भारत मिशन” के संचालन को लेकर सोमवार को संसदीय समिति की एक रिपोर्ट सामने आई है। अपनी इस योजना की बम्पर सफलता का दम्भ भरने वाली केंद्र सरकार के लिए यह रिपोर्ट सर दर्द साबित हो सकती है। कारण यह कि यह रिपोर्ट उन तमाम सरकारी दावों को झुठलाती है, जो अब तक इस मिशन को व्यापक सफल बताकर 99 फ़ीसदी से नीचे की बात नहीं करते थे।

56 प्रतिशत पीछे चल रहा है मिशन:

साल 2014 के अक्टूबर की 2 तारीख को प्रारम्भ किए गए स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत साल 2019 तक भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया था। ऐसे में लक्ष्य किए गए आखिरी वर्ष के शुरुआत में आई संसदीय समिति की इस रिपोर्ट को माने तो ज्ञात होता है कि वर्तमान में यह मिशन तय किए गए लक्ष्य से 56 प्रतिशत पीछे चल रहा है। रिपोर्ट कहती है कि देश के 39% घरों में आज भी शौचालय नहीं है, साथ ही देशभर के 4041 शहरी निकायों में से 1789 ही खुले में शौच से मुक्त है। मिशन के तहत जहां 66 लाख से अधिक शहरी घरों में शौचालय बनाने थे, लेकिन अभी तक 39 लाख घरों में ही यह सुविधा पहुंची है। 80 हज़ार से अधिक शहरी वार्डों में से अभी तकरीबन 45 हज़ार ही ऐसे हैं, जहां घर-घर जाकर निगम की गाड़ियां कचरा उठा रही है। सरकार ने तय किया था कि देश में 5 लाख सार्वजनिक टॉयलेट सीट्स बनाई जाएगी। यहां भी अभी 54 फ़ीसदी काम बचा हुआ है।

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