क्या सांगानेर में हार के साथ ही साख भी गवा बैठे घनश्याम तिवाड़ी!!!

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Ghanshyam tiwari
posted by @gtiwariindia

जयपुर शहर की सांगानेर विधानसभा, जहां पिछले 15 वर्षों से घनश्याम तिवाड़ी को एकतरफा जीत मिल रही थी, उसी सांगानेर के जनमत ने इस दफ़ा तिवाड़ी पर जो करारा प्रहार किया, अब उससे उबरना तिवाड़ी के लिए बेहद मुश्किल हो सकता है। राजस्थान में भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे घनश्याम तिवाड़ी को लम्बे समय से प्रदेश राजनीति का अपराजित किरदार माना जाता रहा है। अनुभवी व सधे हुए राजनेता तिवाड़ी दो बार सीकर, एक बार चौमू और तीन बार सांगानेर से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं।

इस चुनाव में अपने मूल संगठन भाजपा का दामन छोड़कर नए राजनैतिक संगठन भारत वाहिनी की स्थापना करने वाले घनश्याम तिवाड़ी को प्रदेश के साथ ही उनकी गृह विधानसभा सांगानेर ने ऐसी पटखनी दी, जिसे तिवाड़ी शायद ही कभी भूल पाए। ‘भारत वाहिनी’ प्रदेश में कहीं भी सीट निकाल पाना तो दूर, नज़दीकी टक्कर भी नहीं दे सकी। पिछले चुनाव में 1 लाख से अधिक मत पाने वाले खुद तिवाड़ी महज़ 17371 वोट लेकर भाजपा प्रत्याशी अशोक लाहोटी के सामने जमानत जब्त करा बैठे।

वसुंधरा राजे से मनमुटाव के बाद भाजपा छोड़कर किया नई पार्टी का गठन:

वर्ष 2013 में मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा राजस्थान की सत्ता में रिकॉर्ड बहुमत के साथ लौटी। इस चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी ने 65000 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज़ कर, सांगानेर में कांग्रेस और विरोधियों को कहीं ठहरने ही नहीं दिया।

शानदार विजय के बाद भाजपा ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनाई और मंत्रीमंडल का गठन किया। तिवाड़ी शुरुआत से ही वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री न बन पाए, इसके लिए लॉबिंग करते रहे। मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिए जाने के बाद तिवाड़ी महज़ कहने भर के लिए भाजपा के साथ रह गए थे। सदन में व उसके बाहर वे लगातार सरकार को घेरते जा रहे थे। करीब दो साल पहले दीनदयाल वाहिनी नाम से संगठन बनाया। धीरे-धीरे संगठन को मज़बूत करते रहे। चुनाव में छह महीने भी नहीं बचे थे, भाजपा से इस्तीफा देकर खुलकर सामने आ गए। ‘दीनदयाल वाहिनी’ का नाम बदलकर ‘भारत वाहिनी’ किया। आक्रामक तरीकें से चुनावी तैयारियों में लग गए। पहले घोषणा की कि सभी 200 विधानसभाओं पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेंगी। बाद में हनुमान बेनीवाल की ‘राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी’ के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे की संभावनाएं तलाशने लगे।

63 सीटों पर उतारे प्रत्याशी, किसी को नहीं मिली जीत:

राजस्थान विधानसभा चुनाव में आगाज़ के साथ ही तिवाड़ी सरकार पर अधिक हमलावर होते गए। पार्टी का घोषणा पत्र जारी कर दिया। चुनावी समर की ओर बढ़ते गए। बताया जाता है कि तिवाड़ी चुनाव से पहले ही सांगानेर सीट पर अपने कम होते प्रभाव को भांप गए थे, शायद यहीं कारण रहा कि प्रदेश की केवल 63 विधानसभा सीटों पर ही पार्टी के टिकट बाँट पाए। स्थिति ऐसी रही, कि सांगानेर से बाहर कहीं जनसभा के लिए भी कोई ख़ास नज़र नहीं आए। चुनाव संपन्न हो गए, परिणाम सामने आए तो तिवाड़ी और उनकी पार्टी के लिए सदमे से कम नहीं साबित हुए। आखिर किसने सोचा होगा कि सूबे की सियासत की एक विराट शख्सियत के लिए यह चुनाव बहुत हद तक शीर्ष पर मौजूद पुरोधा के लिए अचानक से रसातल पर पहुंचने का मोड़ बनकर रह जाएगा!!!

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