यह पोस्टर इन दिनों गाज़ियाबाद विधानसभा में कौशाम्बी मेट्रो स्टेशन के पास देखा जा रहा है। लिखा है, ”गाज़ियाबाद करे पुकार, रॉबर्ट वाड्रा अबकी बार।” सूट पहने रॉबर्ट वाड्रा के बड़े चित्र के साथ ऊपर सोनिया गांधी, प्रियंका और राहुल गांधी की फोटो लगी है। नीचे लिखा है, निवेदक- युथ कांग्रेस। यहां यूथ की जगह शायद युथ लिखने में आ गया है। लेकिन ऊपर छपी फोटो और नारे को देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि सोच समझकर ही लिखा गया होगा। यहां इतनी बात करने का सीधा सा मतलब है कि यह इतना सहज नहीं है। यह पोस्टर जो आप देख रहे हैं, समझ नहीं आता कि किस आधार पर और क्यों छाप दिया गया!
गाजियाबादी युवाओं के मायने बदल देता है यह पोस्टर:
इस पोस्टर में रॉबर्ट वाड्रा को गाज़ियाबाद से सांसद दावेदार बनाने की पैरोकारी करने वाले गाज़ियाबाद, यूथ कांग्रेस के लोग हैं। ज़रा विचार कीजिए, रॉबर्ट वाड्रा कौन? एक बड़ा व्यापारी जो देश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने का दामाद है। जिसके ऊपर बेनामी संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, जमीन अधिग्रहण जैसे न जाने कितने केस लंबित है! जिस व्यक्ति का व्यक्तिगत तौर पर राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं, जिसने जनता के बीच जाकर कभी उनके हक़/अधिकारों की बात नहीं की, जो राजनीति की रगड़ों से नहीं गुज़रा, जनता की मांग, मुद्दों, मसलों से जिसका सरोकार न रहा। उस व्यक्ति को सांसदी का दावेदार बताने वाले पोस्टर युवाओं द्वारा चस्पा किए जा रहे हैं। गाज़ियाबाद यूथ कांग्रेस को लगता होगा कि अपना वज़ूद बनाए रखने के लिए इस ख़ास व्यक्ति और इसके परिवार को रिझाना ज़रूरी है, गुलामी बरकरार रखना ज़रूरी है। क्या पूरे गाज़ियाबाद में कोई युवा या अनुभवी नहीं जो वहां की सांसदी के साथ यूथ कांग्रेस को संभाल पाए? क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर पाए? दिल्ली में बैठ पाए? यदि नहीं है तो गाज़ियाबाद के युवा कांग्रेसी कमज़ोर है, और यदि है तो वह मरणासन्न पड़े हैं, निस्तेज हैं, निरीह हैं, निष्क्रिय हैं। बिलकुल सीधा सा सवाल है और उसका सीधा सा जवाब गाज़ियाबाद, यूथ कांग्रेस को देना चाहिए। आखिर रॉबर्ट वाड्रा की पुकार गाज़ियाबाद क्यों कर रहा है? रॉबर्ट वाड्रा क्या गाज़ियाबाद का रॉबिनहुड है? निश्चित ही वाड्रा में वह सारी योग्यताएं होंगी जो भारत में एक सांसद बनने के लिए ज़रूरी है। वह चुनाव लड़े तो भी उसमे गलत कुछ नहीं है। वह उसका अपना विषय है। लेकिन आप तो युवा हैं, आप क्यों किसी की पलदारी में झुककर अपने विचारों को दुहरा बना रहे हो? और पलदारी भी उसकी जो शायद उसके योग्य भी न हो। यकीन मानिए ये चापलूसी की हद पार करने वाली हरकत है। कोई भी युवा कांग्रेसी बता दें कि राजनीति करने के लिए, उस क़ाबिल बनने के लिए, जनता को जोड़ने के लिए, जनता से जुड़ने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है! किस कदर खप जाना होता है! तब जाकर नेता बनता है, नेतृत्वकारी बनता है। यहां मेहनत से जनता के प्रति समर्पण को सींचा जाता है तो वह खुद्दारी होती है, और महज़ किसी नेता या व्यक्ति विशेष की चाटुकारिता की जाती है तो वह बिकाउपना होता है। उस पर लोकतांत्रिक राजनीति को राजतंत्र की विरासत में बदला जाए तो वह वीभत्स है। ऐसे में क्षेत्रीय नौजवानों के सपनों की हक़मारी करते हुए रॉबर्ट वाड्रा की पुकार मारते यूथ कांग्रेस के युवाओं पर जो कहा जाए यकीन मानिए वह कम है। यह पोस्टर गाजियाबादी यूथ कांग्रेस के युवा होने के मायने बदल देता है।