क्या मालवीय नगर में टूट पाएगा कालीचरण का तिलिस्म?

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राजस्थान विधानसभा में राजधानी जयपुर की 19 सीट आती हैं। इनमें से सबसे वीआईपी सीट है जयपुर के दक्षिण भाग में आने वाला एक समृद्ध आवासीय क्षेत्र मालवीय नगर। 2008 के विधानसभा चुनाव से पृथक सीट घोषित होने वाले मालवीय नगर के राजनीतिक कायदें पूरी तरह से प्रत्याशी की छवि और पार्टी की स्वीकार्यता पर टिके होते हैं। जनगणना के आंकड़ें देखें जाए तो यहां पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की संख्या 20 प्रतिशत से भी कम है। जातिगत आधार पर वोटबैंक की लामबंदी यहां पर काम नहीं करती। वर्ष 1974 में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे कालीचरण सराफ इस सीट से लगातार दो बार जीतकर विधानसभा में पहुँच रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अब तक सराफ के सामने पूरी तरह से बेअसर साबित हुआ है।

रिकॉर्ड मतों से जीतते आए हैं कालीचरण सराफ:

वर्तमान राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ जयपुर में भाजपाई राजनीति के दिग्गज किरदार माने जाते हैं। मालवीय नगर विधानसभा की ही बात करे तो साल 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी राजीव अरोड़ा को  20 हज़ार से अधिक मतों के अंतर से पराजित करने वाले सराफ ने पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा को 48 हज़ार से अधिक वोटों से करारी शिकस्त दी थी। इस बार फिर से इस सीट पर कालीचरण सराफ के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा मैदान में होंगी।

कांग्रेस-भाजपा के अतिरिक्त किसी पार्टी का नहीं है जनाधार:

राजधानी जयपुर की मालवीय नगर वह सीट है जहां मतदाता हमेशा से ही किसी तीसरे विकल्प को नज़रअंदाज़ करते हुए कांग्रेस व भाजपा के पक्ष में मतदान करते आए हैं। यहां चुनाव में भागीदारी करने वाले अन्य दल या निर्दलीय प्रत्याशी करीब 1 – 2 प्रतिशत मतों पर ही सिमटकर रह जाते हैं। मतलब साफ़ है कि मुक़ाबला तो भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लेकिन यह देखना ज़रूर मज़ेदार होगा कि क्या प्रदेश में भाजपा के लिए कठिन माने जाने वाले दौर में भी कालीचरण सराफ अपनी सीट सुरक्षित रखते हुए मालवीय नगर से जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या कांग्रेस और अर्चना शर्मा की मेहनत किसी तरह से जनमत को अपने पक्ष में कर पाने में कामयाब होती हैं।

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