गत महीने की बात है, जब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पद की गरिमा के आड़े राजनीति की गन्दगी ले आए थे। राज्यपाल ने अपने संवैधानिक पद की मर्यादा का हनन करते हुए चुनावी मौसम में अपने आप को भाजपा का कार्यकर्ता बता दिया। हालांकि इसके बाद चुनाव आयोग ने राज्यपाल कल्याण सिंह के बयान को आचार संहिता का उल्लंघन माना लेकिन संवैधानिक पद पर होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं की। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर निर्वाचन आयोग से भेंट की है। कांग्रेस पार्टी की मांग है कि निर्वाचन आयोग इस विषय को लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखे।
गौरतलब है कि अलीगढ में पत्रकारों से राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा था कि ”हम सभी लोग भाजपा के कार्यकर्ता हैं और इस नाते से हम ज़रूर चाहेंगे कि भाजपा विजयी हो। सब चाहेंगे एक बार फिर से केंद्र में मोदी जी प्रधानमंत्री बने। मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए आवश्यक है, समाज के लिए आवश्यक है।”
अनुच्छेद 156 के तहत पद से हटाया जा सकता है राज्यपाल को:
आपको बता दें कि भारत के किसी राज्य में राज्यपाल का पद, केंद्र की सरकार पर राष्ट्रपति के समान ही होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 156 के तहत राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है। इसी के साथ संवैधानिक पद होने के कारण राष्ट्रपति की तरह इस पद की भी मर्यादा होती है, कि किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन न करें। ऐसे में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का भाजपा के समर्थन की बात कहना व अपने आप को भाजपा का कार्यकर्ता बताना भारतीय संवैधानिक संस्था व् पद के गिरते स्तर को दर्शाता है। राजनैतिक मोह से वशीभूत होकर राज्यपाल कल्याण सिंह द्वारा दिया गया यह बयान निंदनीय है।