राजस्थान विधानसभा के चुनाव सर पर है। सभी पार्टियों और प्रत्याशियों ने चुनाव की तैयारियों में अपने आप को झोंक रखा है। प्रदेश के इस चुनावी रण में में कई ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज़ होकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत कर बैठे हैं। अपने क्षेत्र विशेष में प्रभुत्व और पहचान रखने वाले इन बागी नेताओं को मनाना भाजपा, कांग्रेस सरीखें बड़े राजनैतिक दलों के लिए बड़ा महँगा साबित हो रहा है। ऐसे में बिना देर करते हुए पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होने वाले बागी नेताओं पर कांग्रेस पार्टी ने कार्यवाही शुरू कर दी है।
मान-मुनव्वल के बाद भी नहीं माने थे बागी:
चुनाव में अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले बागी नेताओं की मान-मुनव्वल के बाद भी जब बात नहीं बनी तो कांग्रेस ने कड़ी कार्यवाही करते हुए अपने 28 बागी नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। गौरतलब है कि टिकट वितरण प्रणाली पर नाराज़गी व्यक्त करने के बाद अनेकों कांग्रेसी नेताओं ने निर्दलीय के रूप में नामांकन का पर्चा दाखिल किया था। कांग्रेस पदाधिकारियों और आला नेताओं की मनुहार के बाद इनमें से कई नेताओं ने तो अपना नाम वापस ले लिया था, लेकिन कांग्रेस के तमाम प्रयासों के बाद भी कई ऐसे नेता थे जिन्होनें चुनावी मैदान नहीं छोड़ा। आखिरकार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने समस्त कांग्रेसजनों को कडा सन्देश देते हुए इन बागी नेताओं को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।
केंद्रीय मंत्री व पूर्व विधायकों समेत 28 बागियों को किया निष्कासित:
कांग्रेस ने जिन बागियों को पार्टी से बाहर किया उनमें कई ऐसे चेहरे हैं जो अपने क्षेत्र में रसूख रखते हैं।
इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व राजस्थान सरकार में मंत्री, पूर्व विधायक, जिला प्रमुख आदि शामिल हैं। खंडेला से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री महादेव सिंह खंडेला, दूदू से पूर्व मंत्री बाबू लाल नागर, रायसिंहनगर से पूर्व विधायक सोहन नायक, तारानगर से पूर्व विधायक सीएस बैद, नीमकाथाना से पूर्व विधायक रमेशचंद खंडेलवाल, कठूमर से पूर्व विधायक रमेश खींची, गंगापुर सिटी से पूर्व विधायक रामकेश मीणा, बामनवास से पूर्व विधायक नवल किशोर मीणा, किशनगढ़ से पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया, मारवाड़ जक्शन से पूर्व विधायक खुशवीर सिंह जोजावर, सिरोही से पूर्व विधायक संयम लोढ़ा, केशोराय पाटन से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सीएल प्रेमी, महुआ से पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह महुआ, श्री गंगानगर के सादुलशहर से ओम विश्नोई, गंगानगर से राजकुमार गौड़, करणपुर से पृथ्वीपाल सिंह संधू, रतनगढ़ से पूसाराम गोदारा, सुजानगढ़ से संतोष मेघवाल, शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, बस्सी से लक्ष्मण मीणा, किशनगढ़बास से दीपचंद खैरिया, लाडनूं से जगन्नाथ बुरडक, जैतारण से राजेश कुमावत, पाली से भीमराज भाटी, जयपुर से विक्रम सिंह शेखावत, आहोर से जगदीश चौधरी, सलूंबर से रेशमा मीणा और शाहपुरा से गोपाल केसावत आदि ऐसे नेतागण रहे जिन्हें कांग्रेस ने छह वर्ष के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है।