साल 2014 में हुए देश की 16वीं लोकसभा के चुनाव में मोदी लहर, परिवर्तन की चाह और एंटी इंकम्बेंसी के चलते भाजपा जहां पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आ गई थी तो वहीं कांग्रेस पार्टी औंधे मुंह गिर पड़ी थी। लोकसभा की 543 में से 44 सीटों पर ठहरने वाली कांग्रेस पार्टी देश के कई राज्यों में तो खाता भी नहीं खोल पाई थी। राजस्थान भी उन राज्यों में एक था, जहां 25 की 25 सीटों पर कांग्रेस पार्टी को हार मिली थी। इसी राजस्थान में इस बार कांग्रेस मिशन 25 के साथ मैदान में है। पार्टी पूरे जोश के साथ प्रदेश की 25 लोकसभा जीतने का दावा ठोक रही है।
विधानसभा चुनाव परिणामों से पड़ा फर्क सामने है:
गौरतलब है कि साल 2014 के आम चुनाव से पहले 2013 के आखिर में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाई थी और कांग्रेस पार्टी को करारी मात खानी पड़ी थी। विधानसभा चुनाव में मिली उस हार के बाद पस्त हौंसलों के साथ कांग्रेस स्वतः ही बिखर चुकी थी। बम्पर जीत से उत्साहित भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सीटों पर क्लीन स्वीप कर दिया।
2014 की तुलना में इस बार स्थिति पूरी तरह विपरीत है। हालियां विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में आ बैठी है, तो वहीं भाजपा सरकार से बाहर है। ऐसे में इस बार कांग्रेस का उत्साहित होना लाज़िमी है। कांग्रेस केंद्र सरकार के प्रति एंटी इंकम्बेंसी को भी भुनाने की कोशिश में लगी है। इसी के साथ कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने वादों और घोषणाओं को जल्द से जल्द ज़मीन पर उतार रही है ताकि जनता के सामने सुशासन का उदाहरण पेश कर लोकसभा में खोए हुए जनमत को अपनी तरफ़ मोड़ सके। ऐसे में पिछली दफ़ा प्रदेश की 25 लोकसभा सीटें एकमुश्त अपने नाम करने वाली भाजपा के पास इस दफ़ा खोने के लिए बहुत कुछ है तो मिशन-25 के साथ चुनावी ताल ठोकने जा रही कांग्रेस पार्टी के पास पाने के लिए बहुत कुछ है।