कोलकाता में तीन दिन तक मनाया जाएगा रसगुल्ला उत्सव, जानिए किसने खोजा रसगुल्ला, और इससे जुडी अनोखी बातें

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अधिकांश लोगों की पसंदीदा मिठाइयों में से प्रमुख है रसगुल्ला। सफ़ेद गोल, गेंद की तरह का रसगुल्ला दुनियाभर में अपने मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है। अपने अनोखे स्वाद की तरह ही रसगुल्ला की निराली विशेषता है। यहीं कारण है कि इस वर्ष 28 दिसंबर से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में रसगुल्ला उत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर में तरह-तरह के रसगुल्ला की प्रदर्शनी लगेगी। देश के साथ भी विदेशों के अनेकों पर्यटक इस उत्सव में शामिल होंगे, ऐसे आसार है।

Bengali rasgulla

नोबिन चंद्र दास को माना जाता है आविष्कारक:

पश्चिम बंगाल में नोबिन चंद्र दास नामक व्यक्ति को रसगुल्ला का आविष्कारक माना जाता है। माना जाता है कि बंगाल में रसगुल्ला का आविष्कार 150 वर्ष पहले नोबिन चंद्र दास द्वारा किया गया था। इस आविष्कार के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ही कोलकाता में पहला बागबाजार-ओ-उत्सव मनाया जा रहा है। दूसरी तरफ उड़ीसा प्रान्त के लोगों का मानना है कि रसगुल्ला का आविष्कार 700 वर्ष पहले हुआ था। उड़ीसावासी इसे भगवान जगन्नाथ का प्रसाद मानते हैं।

बंगाल और उड़ीसा में रसगुल्ला पेटेंट के लिए होती रही है प्रतिस्पर्धा:

रसगुल्ला की उत्पत्ति भारत में हुई इस बात को लेकर दुनिया तो एकमत है लेकिन भारत में यह हमेशा विमर्श का विषय बना रहा है। भारत में पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों द्वारा अक्सर रसगुल्ला की उत्पत्ति पर एकाधिकार का दावा किया गया है। इस कड़ी में वर्ष 2015 में उड़ीसा सरकार द्वारा रसगुल्ला की उत्पत्ति की खोज करने के लिए एक समिति बनाई गई। समिति ने रसगुल्ला का उत्पत्ति स्थल उड़ीसा माना। इसके बाद वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बंगाली रसगुल्ला को बंगाल का जिओ टैग (भौगोलिक निर्देशांक) घोषित करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। 2017 में भारत सरकार के रजिस्ट्री विभाग द्वारा बंगाल को इसका टैग दे दिया गया और कहा गया कि उड़ीसा भी ओडिशा शैली के रसगुल्ला के लिए आवेदन कर सकता है।

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