प्रोटोकॉल तोड़कर आतंकी पाकिस्तान के मददगार से मिलते प्रधानमन्त्री मोदी का अट्ट्हास अच्छा नहीं लगता

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पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों द्वारा सीआरपीएफ पर धोखे से किए गए हमले और 40 से ज़्यादा जवानों की शहादत अभी देशवासियों के जेहन में ताज़ा है। उन आतंकियों से एनकाउंटर में अभी भी हमारे सैनिकों की जान जा रही है। हर रोज उठती भारतवीरों की अर्थियों और मातमी स्वर से गुंजायमान देश में अभी न आतंकियों के प्रति आक्रोश थमा है, न शहीदों के प्रति वेदना, लेकिन सउदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान के साथ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर तो शायद कुछ यहीं बयां करती है, कि ‘जिन्हें दुःख हो, वो दुःख मनाए, गले मिलना और मुस्कुराना हम नहीं छोड़ेंगे।”

पाकिस्तान के साथ 20 बिलियन डॉलर का करार हुआ है सउदी अरब का:

आपको बता दें कि बिछड़े भाई की तरह प्रधानमन्त्री मोदी से मिलकर खिलखिलाते सउदी अरब के राजकुमार मो.बिन सलमान पुलवामा हमले के एक दिन बाद ही पाकिस्तान पहुंच गए थे। राजकुमार की पाकिस्तान ने खूब खातिरी की, सेवा में इमरान खान ड्राइवर बन गए, भारत पुलवामा के घाव से छलनी हुआ था, सऊदी का यह राजकुमार पाकिस्तान के साथ जश्न मना रहा था। पाकिस्तानी मेहमाननवाज़ी से खुश राजकुमार ने सऊदी की जेल में बंद पाकिस्तान के 2 लाख क़ैदी आज़ाद करने की घोषणा कर दी, हथियारों के उत्पादन के लिए पाकिस्तान के साथ 20 बिलियन डॉलर के निवेश का करार किया, और भारत आ गया।

आतंक के मददगार राजकुमार को झप्पी देकर क्या दर्शा रहे हैं मोदी:

दुनिया जानती है कि 9/11 के बाद से आतंक के खात्मे के लिए अमेरिका बरसों से पाकिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया कराता आया था, लेकिन पाकिस्तान में ही ओसामा पकड़ा गया और आईएसआई व जैश जैसे आतंकी संगठन आज भी पाकिस्तान में पल रहे हैं।

पुलवामा में पाकिस्तान की दग़ाबाज़ी से आहत भारत आज उस पाकिस्तान को घुटनों पर लाने की मांग कर रहा है और उस आतंकी देश के मददगार से मिलने पर हमारे मुल्क के हुक्मरान की बांछे खिल रही है। प्रोटोकाल तोड़कर एयरपोर्ट जाकर पूरे गाजे-बाजे के साथ सऊदी के राजकुमार का स्वागत खुद प्रधानमन्त्री करें, दुःख से विभोर हो रहे देश में यह इतना ज़रूरी तो नहीं था। आपके एक आह्वान पर एकजुट हो जाने वाले देश में पसरे शहादत के रंज-ओ-गम को भुलाकर दुश्मन के रहनुमा से मिलने की ऐसी बेताबी, यकीन मानिए प्रधान सेवक जी अच्छी नहीं लगती। किसी बेटे, किसी भाई, किसी पिता, किसी सुहाग को खो देने वाले परिवारों के रुदन करते अहसास को आपका विरूपित अट्ट्हास अच्छा नहीं लगता।

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