कायदा तो यह कहता है कि संसदीय लोकतंत्र प्रणाली में चुनाव प्रधानमंत्री के चेहरे पर नहीं लड़ा जाना चाहिए, क्योंकि अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र के चुनकर आए जनप्रतिनिधियों में से निचले सदन में बहुमत प्राप्त राजनैतिक दल या गठबंधन का नेता प्रधानमंत्री चुना जाता है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति लोकतंत्र की तरह भारत में प्रधान चेहरों के बीच मुक़ाबला करवाकर चुनाव नहीं लड़ा जाना चाहिए, क्योंकि भारत में ब्रिटैन की तरह लोकतंत्र का संसदीय स्वरुप प्रचलन में है।
बावजूद इस समझपरक तथ्य के केंद्र में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने आगामी आमचुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम विपक्ष’ के रूप में चेहरा आधारित बनाने का भरसक प्रयास किया। 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में आई भाजपा ने चुनाव पूर्व ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया था। तभी से पार्टी ने इस ख़ास चेहरे की जोर-शोर से ब्रांडिंग की, जिसमे पूरी तरह सफल भी रहे। उसके बाद से देश के विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने इस चेहरे के दम पर वोट बटोरे। विपक्ष को नाकारा और नाकाम बताते हुए भाजपा ने विचारधारा पर कम और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया। इस तरह 2019 का आगामी लोकसभा चुनाव भी नरेंद्र मोदी बनाम विपक्ष या कहे कि नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी कर दिया था।
‘मोदी बनाम विपक्ष‘ को कांग्रेस ने ‘अमीरी बनाम गरीबी‘ में बदल दिया:
व्यक्तित्व और चेहरे के रूप में नरेंद्र मोदी का तिलिस्म तोड़ पाने में कांग्रेस पार्टी नाकाम रही। ऐसे में कांग्रेस ने भाजपा और मोदी के पिच पर खेलने की तुलना में अपनी ज़मीन पर खेल तैयार किया और इस चुनावी मुक़ाबले को अमीरी बनाम गरीबी के मुद्दें पर ला दिया। चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी, राष्ट्रीय बैंकों के एनपीए का बढ़ना या माल्या, नीरव, चौकसी का भागना; कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को देश के धनाढ्य वर्ग का तरफ़दार बताते हुए घेरा। राफेल विमान सौदे में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्योगपति अनिल अम्बानी को मुनाफ़ा पहुंचाने का दावा किया। देश के कॉर्पोरेट्स द्वारा बैंकों से लिए गए लोन और बाकी रहे शेष के आधार पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को अमीरों का पैरोकार बताया। मोदी सरकार की तमाम योजनाओं की असफ़लता ढूंढकर उसे आम और गरीब जन के लिए जुमला साबित किया। इस तरह भाजपा, जिस राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी के सामने बौना और बेअसर साबित कर चुनाव लड़ना चाहती थी; उसी राहुल गांधी ने चेहरों के मुक़ाबले से दूर हटकर अमीरी बनाम गरीबी के अपने बनाए रणक्षेत्र में मोदी सरकार को उतरने पर मज़बूर कर दिया। 2019 में कांग्रेस ने सरकार बनाने पर देश के प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम आमदनी की गारंटी, जीएसटी प्रणाली का सरलीकरण, किसान कर्जमाफ़ी करने की घोषणा कर दी। इस तरह इस अमीरी बनाम गरीबी के मुक़ाबले में भाजपा को अमीरी और अन्याय का तरफ़दार बताया तो कांग्रेस पार्टी ने अपने आप को गरीब और वंचित जन के लिए न्याय की ओर खड़ा करने की कोशिश की है।