एयर स्ट्राइक से एडवांटेज में भाजपा, 2019 में मोदी रथ को रोक पाना अब मुश्किल

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पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तानी आतंकियों को तबाह करने के साथ ही भारतीय राजनीति के एक पलड़े को भी भारी कर दिया है। इस पूरी सैन्य प्रक्रिया ने अप्रत्यक्षतः केंद्र सरकार की मज़बूत निर्णय क्षमता को पुख्ता किया है। 2016 में उरी हमले के बाद जब देश धीरज खो बैठा था, तब भारतीय सेना ने पीओके में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक की और गुनहगारों को मौत के हवाले कर दिया। उसके बाद अब फिर से पुलवामा हमले की जवाबी कार्यवाही में हमारे सैन्य बलों ने अतुलित पराक्रम दर्शाया है। हमने दुश्मन को परास्त भी किया और कहीं चूके भी नहीं। इस तरह इन दोनों घटनाओं ने देशवासियों में बहुत हद तक सेना के साथ ही राजव्यवस्था पर भरोसा बढ़ाने का काम किया है, जिसका मुनाफ़ा मोदी सरकार को 2 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में किस हद तक देखने को मिलेगा, इस बात का अंदेशा बखूबी ही लगाया जा सकता है।

हिंदी पट्टी के राज्यों में भाजपा फिर से भारी हुई है:

इस बात को गलत नहीं ठहराया जा सकता कि 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का राजनैतिक लाभ केंद्र में सत्ताधारी दल को 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिला था। ठीक वही लाभ हालिया घटित एयर स्ट्राइक के बाद मोदी सरकार 2019 के आमचुनाव में उठाएगी, इसमें संशय नहीं होना चाहिए। पुलवामा के पहले तक देखे तो यूपी, बिहार, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भाजपा की सियासी ज़मीन खिसकती सी लग रही थी। माना जा रहा था कि इन राज्यों में जहां भाजपा ने 2014 में जोरदार जनादेश हासिल किया था, वैसा बहुमत 2019 में नहीं मिलने वाला। राजस्थान, मप्र और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणामों के साथ ही भाजपा इन राज्यों की सत्ता से बेदखल हो चुकी थी। महागठबंधन बनने जा रहा था; बेरोजगारी, राफेल और महंगाई जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरा जा रहा था। लेकिन अब पुलवामा घटना के बाद केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए रुख से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे हिंदी पट्टी के तमाम राज्यों के साथ ही देशभर की जनभावनाएं भी केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ आकर्षित होती दिख रही हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने यह बताने की भरसक कोशिश की है, कि 2014 के जोश से लबरेज और 2019 के जोश और होश से भरे नरेंद्र मोदी में सकारात्मक अभिवृद्धि ही हुई है। ऐसे में 2014 के भाजपाई घोषणा पत्र की घोषणाओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वायदों व जुमलों को भले ही मोदी विरोध में लामबंद हुआ विपक्ष, नाकाम बताकर जनता के सामने विकल्प बनने की विचारने लगे, लेकिन इस एयर स्ट्राइक से सरकार को एडवांटेज मिल चुका है। जिससे 2019 में मोदी रथ को रोक पाना अब मुश्किल ही लगता है। यह हमारा विश्लेषण है, बाकी चुनावी जंग और उसका परिणाम अब 2 महीने से अधिक दूर नहीं।

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