13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ़ भारत बंद, विश्वविद्यालयों में पिछड़ों, वंचितों की भर्ती रोकने के ख़िलाफ़ भारत बंद

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5 मार्च 2019, को देशभर में बहुजन समाज की तरफ़ से भारत बंद का आह्वान किया गया है। भारत बंद की यह अपील विश्वविद्यालयों में से 200 प्वाइंट रोस्टर को ख़त्म कर, उसकी जगह विभागवार 13 प्वाइंट रोस्टर लागू कर दिए जाने के खिलाफ़ है। अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े आरक्षित वर्ग को शिक्षण संस्थानों में शिक्षक बनने से रोक लगाने वाले न्यायिक फरमान के खिलाफ है।

200 प्वाइंट रोस्टर ख़त्म कर, 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने के ख़िलाफ़ भारत बंद:

गौरतलब है कि 7 अप्रैल, 2018 को इलाहबाद उच्च न्यायलय ने एक निर्णय द्वारा यूजीसी दिशानिर्देशों में से क्लोज़ 6 (सी) व 8 (ए) (वी) को हटा दिया था। इससे विश्वविद्यालयों पर से 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से पद सृजित करने की बाध्यता हट गई थी। प्रारम्भ में इस फैसले की खबर किसी तक पहुंची नहीं, फिर इंडियन एक्सप्रेस द्वारा उसी वर्ष के अक्टूबर में छापी गई एक रिपोर्ट से विस्तृत रूप में यह जानकारी सामने आई। बहुजनों द्वारा इस न्यायिक निर्णय का विरोध किया गया। जिसके बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2018 के अप्रैल महीने में उच्चतम न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की संवैधानिक पीठ ने इस एसएलपी को सुनवाई के लायक ही नहीं माना और 22 जनवरी, 2019 को इलाहबाद उच्च न्यायलय के पूर्व निर्णय को उचित ठहराते हुए शीर्ष न्यायालय द्वारा 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली को ख़त्म कर दिया गया।

इस फैसले का सीधा असर देश के अनुसूचित व पिछड़े वर्ग पर पड़ा है। विभागवार भर्तियां निकाली जाएगी तो विश्वविद्यालयों में अब उनकी भर्ती नहीं हो सकेगी। शैक्षणिक पदों पर सदियों से चला आ रहा सवर्णों का वर्चस्व कायम रहेगा। दलित और पिछड़े वर्ग को विश्वविद्यालयों में नियुक्ति नहीं मिलेगी। इसे समझते हुए कई बहुजन संगठनों ने 13 प्वाइंट रोस्टर को खत्म कर, फिर से 200 रोस्टर बहाल करने के लिए राजव्यवस्था पर दबाव बनाया है। लेकिन सरकार इस मसले पर निस्तेजता और निष्क्रियता धारण कर बैठ चुकी है। चुनाव से एन पहले सरकार आर्थिक कमज़ोरों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण तो ले आई है, तीन तलाक़ पर अध्यादेश भी ले आई है। लेकिन वंचितों के हक़-हुक़ूक़ पर अभी खामोश है। ऐसे में देशभर का सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा, वंचित वर्ग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है, सरकार से मांग की जा रही है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले को रद्द करते हुए अध्यादेश लाया जाए, 200 प्वाइंट रोस्टर फिर से लागू किया जाए, अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ों को देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का अवसर दिया जाए। 2 महीने बाद देश में आम चुनाव है। आचार संहिता लगने ही वाली है, उसके बाद सरकार कोई अध्यादेश नहीं ला सकेगी। विश्वविद्यालय तेजी से विभागवार भर्तियां निकाल रहे हैं। पिछडो, वंचितों को इसमें जगह नहीं दी जा रही है। बस इसीलिए भारत बंद का आह्वान किया गया है। राजशाही के आगे वंचितों और पिछड़ों के दम तोड़ते हक़/अधिकार को ज़िंदा रखने के लिए भारत बंद का आह्वान किया गया है।

समझिए 200 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने व फिर 13 प्वाइंट रोस्टर में बदलने की पूरी कहानी

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