राजस्थान में नई सरकार के गठन के साथ ही अब यह कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की योजनाओं को बंद कर देगी या उन्हें जारी रखेगी! ऐसे में स्पष्ट तौर पर अभी कुछ भी कह पाना तो मुश्किल है लेकिन सूत्रों की माने तो वर्तमान सरकार पूर्व सरकार की सर्वप्रमुख ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’को बंद कर सकती है। निम्न कारण इसके पीछे बताए जा रहे हैं।
कांग्रेस पहले शुरू कर चुकी थी निःशुल्क दवा एवं जांच योजना:
गौरतलब है कि साल 2009 में कांग्रेस की पिछली सरकार ने प्रदेश में निःशुल्क दवा एवं जांच योजना की शुरुआत कर दी थी। उस समय भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे। तब प्रदेश के सभी राजकीय अस्पतालों में जांच एवं दवा सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करवाने की कार्ययोजना सरकार लेकर आई थी। यह योजना जनता को पसंद आ रही थी। ऐसे में अगली भाजपा सरकार इसे बंद नहीं कर सकती थी, लेकिन बड़े पैमाने पर भामाशाह स्वास्थ्य योजना संचालित करके धीरे-धीरे निःशुल्क जांच एवं दवा योजना की परिहार्यता ख़त्म कर दी गई।
घोषणा पत्र में सभी लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा की बात कह चुकी है कांग्रेस:
चुनाव से पहले जारी किए गए घोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश के सभी लोगों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा की घोषणा की है। इसमें मुफ्त दवा, जांच, इलाज आदि सभी सम्मिलित होने की बात की जा रही है। भामाशाह योजना का लाभ जहां अब तक सिर्फ सीमित परिवारों को मिल पा रहा था, वहीं कांग्रेस द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा की व्यापकता की घोषणा से भामाशाह स्वास्थ्य योजना का महत्व अपने आप ही गौण हो जाता है।
भामाशाह कार्ड पर वसुंधरा राजे की तस्वीर होना:
पूर्ववर्ती राजस्थान सरकार ने भामाशाह स्वास्थ्य योजना का लाभ देने के लिए भामाशाह कार्ड शुरू किया था। प्रदेश के परिवारों की महिला मुखिया को इस कार्ड के लिए पात्र माना गया था। इस कार्ड की सबसे बड़ी खामी की बात करें तो इस पर वसुंधरा राजे की तस्वीर काहोना है। चूँकि लोकतंत्र की दलीय प्रणाली में सरकार का बदलना सामान्य परिघटना होतीहै। साथ ही सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली योजनाएं जनकल्याण को ध्यान में रखकर होनी चाहिए। ऐसे में योजना से सम्बंधित कागज़ातों, कार्ड्स आदि पर किसी दल विशेष का निशान,स्लोगन अथवा तस्वीर छपे होने पर वह उस योजना के दीर्घ आवधिक संचालन में बाधा होती है।
बीमा क्लेम, योजना में अस्पतालों का फर्जीवाड़ा भी प्रमुख कारण:
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकार ने एक परिवार के लिए सालाना 3 लाख रुपए तक का बीमा निर्धारित किया था। योजना का लाभ तो प्रदेश के लाखों लोगों को मिला लेकिन इसमें बीमा कंपनियों और अस्पतालों के बीच बीमा क्लेम को लेकर अक्सर विवाद होता रहा। इसके अलावा अनेकों निजी अस्पतालों द्वारा इस योजना के आधार पर भारी-भरकम बिल बनाकर मुनाफ़ा कमाने की बात भी सामने आने लगी थी।
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