माना कि भाजपा अपनी नाकामी छुपा रही है, लेकिन धूर्त पाकिस्तान के साथ खेल खेलना कहां तक सही है?

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image: india.com

कांग्रेस नेता और केरल से लोकसभा सांसद शशि थरूर ने आज शुक्रवार को ट्वीट करते हुए भारत-पाकिस्तान के मध्य क्रिकेट मैच की होने की वकालत की है। शशि थरूर के ट्वीट का अनुवाद इस तरह है कि-

”याद रहे, 1999 के कारगिल युद्ध के चरम पर, भारत ने विश्वकप में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेला था और जीता भी था। इस साल पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलने का निर्णय आत्मसमर्पण से भी बुरा होगा, क्योंकि यह एक लड़ाई के बिना हार होगी।”

इसी के साथ थरूर ने सत्ताधारी भाजपा पर आरोप लगाते हुए एक और ट्वीट किया ”हमारी सरकार ने पुलवामा हमले के बाद भी राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की, तथा 3 महीने बाद होने वाला एक मैच रद्द करने जा रही है। क्या 40 जवानों की जिंदगियों के प्रति यह एक  गंभीर प्रतिक्रिया है? भाजपा लोगों का ध्यान अपनी नाकामी और लापरवाही से हटाना चाहती है। हमें प्रभावी क्रिया की ज़रूरत है, न कि राजनीति की।”

माना कि भाजपा नाकामी छुपा रही है, लेकिन पाकिस्तान से मैच क्यों:

राजनीति से प्रेरित थरूर का यह बयान सत्ताधारी भाजपा की नीतियों की आलोचना है। यह बयान पुलवामा हमले के दौरान राजशाही की लापरवाही और राष्ट्रीय सुरक्षा में नाकामी का दावा करता है। तथ्यों व जांच के आधार पर इसे सही या गलत माना भी जा सकता है, लेकिन पाकिस्तान के साथ मैच खेलना कहां तक सही है? थरूर इसकी पैरवी क्यों कर रहे है! जो देश बार-बार धूर्तता से हमें छल रहा हो, हर बार धोखे से वार कर रहा हो, हमारे सुरक्षा प्रहरियों की ज़िन्दगी को निशाना बना रहा हो, ऐसे दगाबाज पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलेंगे तो निश्चित ही हमारे क्रिकेट कौशल में कमी नहीं होगी। कारगिल के समय भले ही देश ने पाकिस्तान के साथ विश्वकप का मैच खेला हो और जीता हो, लेकिन तब परिस्थिति अलग थी। दुश्मन हमारे देश में घुस आया था, हमने उसे खदेड़ दिया था। तब देश को पाकिस्तान के मानमर्दन का गौरव था, वह स्थिति इतनी वीभत्स नहीं थी, जितना छला हुआ हम आज अपने आप को महसूस रहे हैं। धोखे से पाकिस्तानी आतंकियों ने हमारे 40 से ज़्यादा जवानों की जान ले ली। व्यथा के साथ ही देश में रोष भी पसरा है। देशवासी उस आतंक और उस हैवानियत को मिटाने की सोच रखते हैं, ज़िम्मेदारी अकेले जवानों पर नहीं है। सारे देश को एकजुट होना होगा, युद्ध हो न हो, बात अलग है, लेकिन प्रतिकार करना होगा आतंक का, पाकिस्तान का। उसके साथ व्यापार का, खेल का, गीत-ग़ज़लों का। हां माना कि ये हमारे देश को नुकसान नहीं पहुंचाती, लेकिन जब हम दुनियाभर में पाकिस्तान को अलग-थलग रखने की अपील कर रहे हैं, तो हमें उसके हर एक हितों पर कुठाराघात करना होगा, चाहे सामरिक हो या व्यापारिक या फिर खेल-तमाशा ही क्यों न हो!

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