भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर एवं प्रख्यात अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि यदि रिज़र्व बैंक सरकार को एक सीमा से ज़्यादा पैसा देती है तो इससे बैंक की रेटिंग कम होगी। राजन के अनुसार इससे बैंक के आरक्षित कोष में कमी आएगी, जिससे बैंक के लिए फण्ड जुटाना मुश्किल हो जाएगा। राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक पर हमेशा यह दबाव रहता है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा रकम सरकार को उपलब्ध करवाए, लेकिन इसका भारी नकारात्मक असर बैंक की साख पर पड़ता है। गौरतलब है कि अभी इसकी रेटिंग ‘एएए’ है। यदि सरकार घाटे से उबरने के लिए बैंक से ज़्यादा रकम निकालती है तो यह निश्चित ही केंद्रीय बैंक के लिए संकट की स्थिति होगी।
मालेगांव समिति की रिपोर्ट ने भी किया था दावा:
बैंकों पर बढ़ रहे बैड लोन, अप्रभावी ऑडिट्स, धोखाधड़ी के मामलों के निस्तारण के लिए आरबीआई के केंद्रीय निदेशक बोर्ड के पूर्व सदस्य वाय एच मालेगांव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई अपने लाभ से ज़्यादा पैसा, सरकार को नहीं दे सकता।
उर्जित पटेल के इस्तीफे के पीछे भी बताई जाती है यहीं वजह:
गौरतलब है कि हालियां दिनों में उर्जित पटेल ने रिज़र्व बैंक गवर्नर के पद से अपने कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दिया था। उर्जित ने इस्तीफे की वजह निजी बताई थी, लेकिन बताया जाता है कि कुछ दिनों पूर्व आरबीआई की स्वायत्ता पर सरकारी हस्तक्षेप उर्जित के इस कदम के पीछे बड़ी वजह रही। बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य भी सरकार के इस रवैये का विरोध कर चुके है।