अयोध्या विवादित भूमि मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में मध्यस्थता से किया जाएगा स्थायी समाधान

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Supreme court of India

शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मसले पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने इस केस के स्थायी समाधान हेतु कोर्ट के मार्गदर्शन में नियुक्त की गई मध्यस्थता का आदेश दिया। इसके लिए न्यायालय ने तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस एफएम कलीफुल्लाह करेंगे। श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू इसके अन्य सदस्य होंगे। सुप्रीम  कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थकर्ता यदि आवश्यक हो तो, अपने पैनल में और सदस्यों का चयन कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार फैज़ाबाद में इन मध्यस्थकारों को सभी ज़रूरी सुविधाएं प्रदान करेगी।

2 महीने में पूरी हो जाएगी प्रक्रिया:

शीर्ष अदालत के आदेशानुसार मध्यस्थता महीनेभर में शुरू हो जानी चाहिए और अगले 8 सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। भारत के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट की निगरानी में की जाने वाली मध्यस्थता गोपनीय रहेगी। इस दौरान मध्यस्थता की मीडिया द्वारा किसी तरह की रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। मध्यस्थता की यह पूरी प्रक्रिया फैज़ाबाद में सभी पक्षों के वार्ताकारों की उपस्थिति में की जाएगी।

रविशंकर को पैनल में शामिल किए जाने पर औवेसी ने उठाया सवाल:

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थकर्ताओं के पैनल पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर ने एक बार कहा था कि यदि मुस्लिम अयोध्या पर से अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत में सीरिया की तरह स्थिति हो जाएगी। ऐसे में यह बेहतर होता यदि सर्वोच्च न्यायालय किसी उदासीन व्यक्ति को उस स्थान पर शामिल करती।

वही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद एक्शन समिति के पक्षकार ज़फ़रयाब जिलानी ने स्पष्ट कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि हम मध्यस्थता में सहयोग करेंगे। अब जो भी हमें कहना होगा मध्यस्थता पैनल को ही कहेंगे, बाहर नहीं।

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