जननायक और जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत आखिर तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपने बूते बहुमत प्राप्त कर फिर सत्ता में लौटी कांग्रेस के लिए इस बार मुख्यमंत्री का चुनाव करना असमंजस भरा रहा। इस पद पर अशोक गहलोत के सामने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट प्रबल दावेदार थे। आखिरकार शीर्ष नेतृत्व एवं विधायक दल की सर्वसम्मति से सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया तथा एक बार फिर अशोक गहलोत को प्रदेश की कमान सौंपी गई।
पांच बार लोकसभा एवं पांच बार विधानसभा पहुंचे गहलोत:
मारवाड़ के गांधी कहे जाने वाले अशोक गहलोत के राजनैतिक जीवन को परखा जाए तो मालूम होता है कि इस 67 वर्षीय शख़्सियत को मुख्य धारा की राजनीति में करीब 40 वर्ष का अनुभव है। साल 1980 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचने वाले गहलोत कुल पांच बार लोकसभा सांसद बने हैं। इसी के साथ गहलोत जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा से लगातार पांचवी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों का ज़िम्मा संभालने वाले ज़मीनी राजनेता गहलोत के कलेवर वाली राजनीति की अतुलनीय विशेषता उनकी बेदाग़ एवं जनप्रिय छवि मानी जाती है।
सालभर पहले कहा था ”म्हे थाँसू दूर नहीं”:
अशोक गहलोत बेहद सधे हुए राजनीतिज्ञ के साथ कुशल संगठक एवं माहिर रणनीतिकार माने जाते हैं। यहीं कारण रहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अशोक गहलोत को कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। मोदी-शाह के छत्रप गुजरात को ढहाने की ज़िम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंपी गई थी। उस समय यह समझा जाने लगा था कि अब गहलोत प्रदेश राजनीति से दूर कर दिए जाएंगे। तब गुजरात जाते समय गहलोत ने कहा था कि ”म्हे थाँसू दूर नहीं।” गहलोत की वह बात आज सच साबित हो चुकी है।