नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने कांग्रेस की न्यूनतम आमदनी गारंटी को बताया असंभव

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Arvind panagariya

साल 2015 में भारत सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर अपने अनुरूप थिंक टैंक नीति आयोग की स्थापना की थी। इस आयोग के पहले और पूर्व उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया भारत के बड़े अर्थशास्त्रियों में माने जाते हैं। हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित की गई न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना (न्याय) पर कल एएनआई ने पनगढ़िया से उनके विचार जाने तो पनगढ़िया ने इस योजना को लगभग असंभव करार दिया। अरविन्द पनगढ़िया का कहना है कि ”यदि आप देश के 5 करोड़ परिवारों को प्रत्येक वर्ष 72,000 रुपये देते हो तो इसमें 3.6 लाख करोड़ रुपये का कुल खर्च आएगा। जोकि केंद्र सरकार के कुल बजट का 13% है।” आगे पनगढ़िया ने कहा कि ”किसी ने भी अभी तक इस योजना के बारे में यह जानकारी नहीं दी कि इस योजना को लागू करने के लिए किस प्रकार 3.6 लाख करोड़ रुपयों का इंतज़ाम किया जाएगा। यह राशि हमारे रक्षा बजट से अधिक है। राजकोषीय स्थिति हमेशा से कसी हुई है, ऐसे में बजट का 13 फ़ीसदी लेकर इस योजना को लागू करना लगभग असंभव है।”

तो ऐसी है कांग्रेस की न्यूनतम आमदनी गारंटी की योजना:

आपको बता दें कि आम चुनाव के मद्देनज़र देश के गरीब, आम जन को साधने की कोशिश में कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में घोषणा की थी कि 2019 में यदि कांग्रेस पार्टी सरकार में आती है तो देश में न्यूनतम आमदनी की गारंटी दी जाएगी। इसके अंतर्गत देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को जिनकी मासिक आमदनी 12 हज़ार रुपये से कम है, उसे 12 हज़ार तक किया जाएगा। 20 फ़ीसदी का अर्थ है कि देश के 5 करोड़ परिवारों को इस योजना का लाभ कांग्रेस पहुंचाने जा रही है। इस तरह एक परिवार में 5 व्यक्ति मानकर कांग्रेस पार्टी इसे देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने वाली योजना बता रही है। पार्टी का दावा है कि योजनान्तर्गत चयनित 5 करोड़ परिवारों में से हर एक परिवार को महीने के अधिकतम 6 हज़ार रुपये तथा साल के 72 हज़ार रुपये उपलब्ध करवाए जाएंगे। यह राशि परिवार की महिला मुखिया के बैंक खाते में दिए जाने की बात भी पार्टी की तरफ से कही गई है।

इस तरह इस योजना द्वारा 72 हज़ार रुपये प्रतिवर्ष की दर से देश के 5 करोड़ परिवारों को आवंटित किए जाते हैं, तो यह सालाना 3 लाख 60 हज़ार करोड़ का खर्च बैठता है। इतनी बड़ी रकम का हर साल देश में बांटे जाने का मतलब अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर हो सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी के गरीबी दूर करने के इस फॉर्मूले पर सवाल उठाया जा रहा है।

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