कांग्रेस का विरोध, मान-मुनव्वल और अब फिर विरोध, आप के बदलते रंग

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यूपीए-2 सरकार के अंतिम वर्षों में कांग्रेस विरोध और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आमजन की आवाज़ बुलंद कर आम आदमी पार्टी (आप) का उदय हुआ। स्वच्छ और सादी राजनीति का विकल्प लेकर आए अरविन्द केजरीवाल ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भागीदारी की। 70 में से 28 सीट ‘आप’ के खाते में गई। कांग्रेस और भाजपा से इतर देश में नए राजनैतिक विकल्प की यह एक सधी हुई शुरुआत थी। उसके बाद आप- गठबंधन से अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार का गठन हुआ। 49 दिनों बाद सरकार गिर गई, 2015 में फिर चुनाव हुए। इस बार 70 में से 67 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया। गठबंधन राजनीति न करने की कसमे खाने वाले अरविन्द केजरीवाल के पास यह अच्छा मौक़ा था खुद को एक बेहतर मुख्यमंत्री साबित करने का, लेकिन विवाद केजरीवाल के साथ ही रहे। दिल्ली पर अधिकार और हितों को लेकर उप राज्यपाल से कई बार टकराव हुआ, हर कमी का दोष केजरीवाल केंद्र की मोदी सरकार पर मढ़ते रहे। केजरीवाल ने 15 सालों से जमी दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार को उखाड़ फेंका था। अपार जनादेश उनके साथ था। यहां उन्हें राजनीति की लगाम थामकर दिल्ली के विकास और दिल्लीवासियों को समय देना चाहिए था। लेकिन केजरीवाल कांग्रेस, मोदी, भाजपा, आरएसएस का विरोध करते हुए महज़ विरोध की राजनीति का पर्याय बनकर रह गए।

भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार थे केजरीवाल:

2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई थी। पिछली बार जहां देश में मोदी को आजमाने की लहर थी, तो इस बार राष्ट्रवाद की लहर हावी है। अपेक्षा और वादों के अनुरूप दिल्ली में काम नहीं हो पाना भी आप सरकार के लिए असहज स्थिति है। ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने में भी केजरीवाल को कोई गुरेज नहीं था। जिन केजरीवाल के पास कांग्रेसी नेताओं के ख़िलाफ़ 300 पन्नों के सबूत हुआ करते थे, वही शख़्स कांग्रेस का दत्तक बनने को तैयार हो रहा था, लेकिन दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने आप से गठबंधन करने से साफ़ इंकार कर दिया। ऐसे में अब आप, भाजपा और कांग्रेस तीनों ही दिल्ली में अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

अब केजरीवाल कांग्रेस को भाजपा का सहयोगी बता रहे है:

कुछ दिनों पहले तक दिल्ली में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की पुरज़ोर कोशिश करने वाले केजरीवाल कांग्रेस द्वारा गठबंधन से इंकार किए जाने के बाद कांग्रेस को भाजपा का सहयोगी बता रहे है। केजरीवाल ने ट्वीट किया-

”ऐसे समय में जब पूरा देश मोदी-शाह की जोड़ी को हराना चाहता है, कांग्रेस, भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करके भाजपा की मदद कर रही है। अफवाहों तो यह भी है कि कांग्रेस और भाजपा की आपसी गुप्त समझ है। दिल्ली कांग्रेस-भाजपा गठबंधन के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। लोग इस अपवित्र गठबंधन को हरा देंगे।”

इसी तरह अब आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि ”सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, कांग्रेस, सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ यूपी में बीजेपी की मदद कर रही है, पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी की मदद कर रही है।

कांग्रेस अखिल भारतीय स्तर पर भाजपा की मदद कर रही है। आज हर भारतीय कांग्रेस को छोड़कर भाजपा को हराना चाहता है। कांग्रेस जानबूझकर राष्ट्र के मूड के खिलाफ जा रही है। जनता इस अघोषित गठबंधन का जवाब देगी।”

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