राजस्थान, मप्र व छत्तीसगढ़ में हार के बाद बैचेन हुई भाजपा अब लोकसभा चुनाव में इन राज्यों से चाहेगी ज़्यादा सीट

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राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, भारत के वे बड़े सूबे हैं जहां लम्बे समय से भाजपा का प्रभुत्व रहा है। हाल ही में इन राज्यों में चुनाव संपन्न हुए। नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं रहे। भाजपा तीनों राज्यों में सत्ता गवा बैठी। चुनावों के यह परिणाम जहां भाजपा के लिए चिंतनीय हैं। वहीं 2019 में फिर से सत्ता में लौट आने की चुनौती भी है। पिछले आम चुनाव में कुल 282 सीट लाकर संसद के निचले सदन में अकेले दम पर बहुमत प्राप्त करने वाली भाजपा को उत्तर भारतीय राज्यों में विराट जीत मिली थी। तब भाजपा ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में प्रचंड विजय के साथ केंद्र की सत्ता हासिल की थी। अब जब सरकार का यह कार्यकाल पूरा होने को है तो सरकार की कई नीतियों को लेकर इन राज्यों में उफान मार रहा जनाक्रोश और विधानसभा चुनाव में कम नज़र आता जनमत भाजपा को 2019 में सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में नाकाफी होने वाला है। ऐसे में पूर्वोत्तर भारत के साथ ही बंगाल और दक्षिण के राज्यों से अपना सूखा ख़त्म करते हुए भाजपा यहां अपना जनाधार बढ़ाना चाहेगी।

बंगाल के साथ ही दक्षिण के राज्यों पर किया जा रहा है फोकस:

गौरतलब है कि 2014 के आम चुनाव में भाजपा बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों में कोई ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाई थी। साल 2014 में बंगाल की 42 लोकसभा में से भाजपा केवल 2 सीट ही जीत पाई थी, वहीं 39 सीटों वाले तमिलनाडु में भी केवल 1 सीट लाकर भाजपा बेअसर साबित हुई थी तथा उस चुनाव में केरल से एक भी सीट निकाल पाने में असफल रही भाजपा तेलंगाना में भी हाशिए की पार्टी बनी हुई थी। ऐसे में अब 5 साल बाद भाजपा इन राज्यों से ज़्यादा से ज़्यादा सीट निकालने का प्रयास करेगी, ताकि उत्तर भारत के राज्यों में होने वाली संभावित कमी की भरपाई कर सके।

पूर्वोत्तर में भी बढ़ सकती हैं सीटें:

भाजपा सरकार ने इन पांच सालों में देश के पूर्वी राज्यों में विकास की कई योजनाओं पर काम किया है। 2014 के बाद भाजपा असम और त्रिपुरा में अच्छे-खासे मत प्रतिशत के साथ सरकार बना चुकी है। इस तरह भाजपा के कार्यकर्ताओं व आलाकमान को पूरी उम्मीद है कि पार्टी इन राज्यों से इस दफ़ा पहले से अधिक सीट निकाल पाने में कामयाब होगी।

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