न्यूज़ चैनल आज तक में ‘दस्तक’ और एबीपी न्यूज़ में ‘मास्टर स्ट्रोक’ शो के बूते सरकारों को आइना दिखाते हुए विद्रोही पत्रकारों की श्रेणी में आए पुण्य प्रसून बाजपेयी अब सूर्या समाचार चैनल से भी बाहर होने को है। करीब दो साल पहले बाजपाई को आज तक से निकाला दे दिया गया था। वे लगातार अपने कार्यक्रम के ज़रिए सरकारी योजनाओं की पोलम पट्टी खोल रहे थे, शासन की नाकामी को जनता के सामने उजागर कर रहे थे। थर्ड डिग्री में बाबा रामदेव से पूंछे गए तीखे सवालों ने उन्हें सीधे सत्ता के निशाने पर ला दिया। आज तक को अपने बेहद संजीदा पत्रकार पुण्य प्रसून को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।
एबीपी न्यूज़ से भी बाहर हुए थे पुण्य प्रसून:
इसके बाद पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एबीपी न्यूज़ में मास्टर स्ट्रोक शो का प्रसारण किया। अपने इस कार्यक्रम में भी पुण्य प्रसून सरकारी वादों, घोषणाओं को अमली जामा पहनाने की शासकीय नीति और नीयत पर बात करते थे। पुण्य प्रसून ताजा और सटीक आंकड़ों के सहारे लगातार केंद्र की मोदी सरकार द्वारा की गई वादाखिलाफी पर बोल रहे थे। मज़दूर, किसान, बुज़ुर्ग, महिला, छात्र, बेरोजगार, मतदाता की हालत पर निरंतर मंथन कर रहे थे। राजशाही को एक अदने से पत्रकार की ये ज़ुर्रत खटक गई। कार्यक्रम के दौरान सिग्नल से छेड़छाड़ की गई, जिसकी वजह से देशभर के टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम के दौरान स्क्रीन काली होने लगी। चैनल के मालिक द्वारा पुण्य प्रसून को कहा गया कि अपने कार्यक्रम के दौरान सीधे प्रधानमंत्री मोदी का नाम न लो, उन्हें ज़िम्मेदार न ठहराओ। सरकारी योजना की ज़मीनी हकीकत से जनता को रूबरू करवाते पुण्य प्रसून को यह आदेश रास नहीं आया। उन्हें यहां से भी बाहर कर दिया गया।
सूर्या समाचार के मालिक को भी सत्ता के मातहत होना पड़ा:
पुण्य प्रसून और उनकी टीम ने इसके बाद सूर्या समाचार के द्वारा अपना काम जारी रखना चाहा। अपने बागी तेवर के साथ पुण्य प्रसून प्राइम टाइम शो ‘जय हिन्द’ लेकर आए। यहां भी सत्ताशाही की अकड़ विरोधी रवैये के चलते पुण्य प्रसून बाजपेयी टिक नहीं पाए। बताया जा रहा है कि सूर्या समाचार चैनल की तरफ़ से पुण्य प्रसून बाजपेयी की टीम को एक मेल भेजा गया है। इस मेल में उन्हें 31 मार्च को काम ख़त्म करने के निर्देश दिए गए हैं। पुण्य प्रसून बाजपेयी की टीम के वरिष्ठ पत्रकार ने जैसा कि लोकवाणी को बताया, “खबर बिकुल सही है हमारी विदाई तय हो गयी है। टीम की सच्ची पत्रकारिता के कारण मोदी सरकार दबाव में थी और सरकार के कई मंत्री सूर्य समाचार के मालिक के पीछे पड़े हुए थे। इतना ही नहीं मालिक को इतना डराया गया है कि उसको हथियार डालने पड़े।”
ऐसे में यह साफ़ है कि लोकतंत्र के चौथे खम्बे की नींव में पानी दिया जा रहा है, उसे जर्जर बनाया जा रहा है। इस जर्जरता को सहारा देते पत्रकारों को रौंदने की साजिश सत्ता रच रही है। ये फ़ासीवाद की इंतेहा है।